NRI पतियों की ज्यादतियों की शिकार हुई महिलाएं चाहती हैं नया कानून

Wednesday, Jan 09, 2019 - 11:30 AM (IST)

नई दिल्ली: परमिंदर कौर (बदला हुआ नाम) का कहना है कि 2015 में उसकी शादी एक सपना सच होने जैसा था और उसके बाद के 40 दिन उसकी जिंदगी के बेहतरीन पल थे। लेकिन उसके पति के पढ़ाई पूरी करने के लिए कनाडा जाने के बाद चीजें पूरी तरह बदल गईं। परमिंदर ने कहा कि उसके पति के जाते ही उसके ससुराल वालों ने उसे मानिसक और शारीरिक तौर पर प्रताडि़त करना शुरू कर दिया और उसके घर वालों से हर महीने एक लाख रुपए दहेज के रूप में मांगने शुरू कर दिए। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने मेरे घरवालों से कहा कि उन्हें (ससुराल वालों को) मुझे खिलाने (खाना) के लिए पैसे चाहिए और मेरे माता-पिता के इनकार करने पर उन्होंने मुझे प्रताडि़त किया।’’ 

परमिंदर (19) ने कहा कि इन सब प्रताडऩाओं के बीच उसके ससुराल वाले अचानक कनाडा चले गए और उसके बाद उसकी उनसे (ससुराल वालों से) और अपने पति से कभी कोई बात नहीं हुई। बाद में उसके पति ने एक पक्षीय तलाक दे कर दूसरी शादी कर ली।  परमिंदर और उसकी तरह धोखा खा चुकीं अन्य महिलाएं अब एक ऐसे विशेष अंतरराष्ट्रीय कानून की मांग कर रही हैं जिससे फरार पतियों का प्रत्यर्पण मुमकिन हो सके।  शिल्पा (बदला हुआ नाम) 2010 में शादी कर अमेरिका जाने से पहले एक आईटी कंपनी में काम करती थी। उसने कहा, ‘‘मैं जैसे ही कैलिफोॢनया पहुंची मेरे पति ने मेरे सारे दस्तावेज और पैसे ले लिए। उसने कई बार मेरे साथ बलात्कार किया और फिर सड़क पर फेंक दिया। मेरे पास कोई विकल्प नहीं था और वापस आने को मजबूर थी।’’ अब शिल्पा (30) अपनी आठ वर्षीय बेटी के साथ दिल्ली में रहती है। उसने अपने पति के खिलाफ पुलिस में शिकायत भी दर्ज कराई लेकिन वह तब से लौटकर नहीं आया। 


उन्होंने कहा, ‘‘मैंने हाल ही में सोशल मीडिया पर देखा कि उसने फिर शादी कर ली है। यह सही कैसे है और क्यों उसे न्याय के घेरे में नहीं लाया गया।’’  इसी तरह के हालातों का सामना कर चुकी स्मृति (बदला हुआ नाम) को उसके पति ने मेलबर्न में अकेला छोड़ दिया था, जिसके बाद उसे अभिघातज के बाद का तनाव विकार (पीटीएसडी) हो गया। परमिंदर, शिल्पा और स्मृति का मानना है कि एक अंतरराष्ट्रीय कानून उनकी जैसी महिलाओं को कुछ हद तक इंसाफ दिला पाएगा। उन्होंने भादंवि की धारा 498ए (पति या पति के किसी रिश्तेदार द्वारा किसी भी प्रकार की क्रूरता) में बलात्कार, मारपीट, धोखाधड़ी और छल जैसे कई बड़े अपराधों को शामिल किए जाने की मांग भी की, जिससे फरार पतियों का प्रत्यर्पण संभव हो सके। इस पूरे प्रकरण में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एनआरआई शादियों से जुड़ी बढ़ती समस्याओं से निपटने के पूर प्रयास किए जा रहे हैं। सरकार ने हाल ही में अपनी पत्नियों को छोडऩे वाले 33 प्रवासी भारतीय या एनआरआई के पासपोर्ट रद्द किए थे।     

Anil dev

Advertising