फिलीस्तीन ने पहलगाम हमले को बताया ''जघन्य अपराध'', कहा- "हम भारत के साथ"
punjabkesari.in Saturday, Apr 26, 2025 - 02:44 PM (IST)

International Desk: पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद फिलीस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने इस "जघन्य कृत्य" की कड़ी निंदा करते हुए गहरा दुख व्यक्त किया है। इस हमले में कई निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। अब्बास ने भारत की सुरक्षा और स्थिरता के प्रति फिलीस्तीन के समर्थन को भी दोहराया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संबोधित पत्र में अब्बास ने लिखा, "जम्मू-कश्मीर क्षेत्र में हुए आपराधिक गोलीबारी की घटना में दर्जनों निर्दोष नागरिक पर्यटकों की मौत और घायल होने की खबर से हमें गहरा दुख हुआ है।"
उन्होंने आगे कहा, "हम इस जघन्य कृत्य की कड़ी निंदा करते हैं और भारत के साथ उसकी सुरक्षा और स्थिरता बनाए रखने में पूर्ण समर्थन व्यक्त करते हैं। हम आपके सम्माननीय व्यक्तित्व, भारत की मित्रवत जनता और पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी हार्दिक संवेदनाएं व्यक्त करते हैं।" अब्बास ने घायलों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना करते हुए भारत और उसके लोगों के निरंतर विकास और समृद्धि की भी प्रार्थना की। पत्र में लिखा गया, "हम दिवंगतों की आत्मा की शांति के लिए, घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने के लिए और भारत व उसके नागरिकों की समृद्धि व कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं। कृपया हमारी गहरी सहानुभूति स्वीकार करें।"
पाहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं। इसमें अटारी एकीकृत जांच चौकी (आईसीपी) को बंद करना, पाकिस्तानियों के लिए सार्क वीज़ा छूट योजना (SVES) को निलंबित करना, पाकिस्तानी नागरिकों को 40 घंटे में देश छोड़ने का आदेश देना और दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाना शामिल है। 22 अप्रैल को बाईसारन घास के मैदान में आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया था, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हो गई थी, जबकि कई अन्य घायल हुए थे।
इसके अलावा भारत ने 1960 में हुई सिंधु जल संधि को भी निलंबित कर दिया है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुई थी और इसे दुनिया की सबसे सफल अंतरराष्ट्रीय संधियों में से एक माना जाता है। संधि के तहत पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम, चेनाब) पाकिस्तान को और पूर्वी नदियाँ (रावी, ब्यास, सतलुज) भारत को आवंटित की गई थीं, जिसमें कुछ सीमित उपयोग की अनुमति एक-दूसरे के हिस्से की नदियों पर भी दी गई थी।