रूसी एस-400 एंटी मिसाइलें दुश्मन की परमाणु मिसाइलों से दिल्ली को बचाएंगी

Friday, Oct 06, 2017 - 04:06 PM (IST)

नई दिल्ली: पाकिस्तानी परमाणु मिसाइलों से राजधानी दिल्ली सहित देश को सुरक्षित बनाने के लिए वायुसेना 2019 के अंत तक दुनिया की सबसे अत्याधुनिक क्षमता वाली एस-400 रूसी मिसाइल प्रणाली को तैनात कर लेगी। वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बी एस धनोआ ने यहां यह उम्मीद जाहिर की।

उन्होंने कहा कि दिसम्बर के अंत तक इस किस्म की पांच मिसाइल प्रणालियों को हासिल करने के लिए समझौता सम्पन्न होने की उम्मीद है। इसके दो साल बाद भारतीय वायुसेना को यह मिसाइल सौंप दी जाएगी। हालांकि उन्होंने यह बताने से इनकार किया कि दुश्मन की मिसाइलों को आसमान में ही ध्वस्त कर देने वाली ये मिसाइल प्रणालियां कहां कहां तैनात की जाएंगी लेकिन यहां रक्षा सूत्रों ने बताया कि पांच में से तीन मिसाइलें पाकिस्तान से होने वाले हमलों से बचाव के लिये पश्चिमी मोर्चे पर जब कि दो मिसाइल प्रणालियां चीन से लगने वाले पूर्वी मोर्चे पर तैनात की जाएंगी। रक्षा सूत्रों के मुताबिक पांच मिसाइलों को हासिल करने पर पांच अरब डालर से भी अधिक की लागत आ सकती है। 

 एस-400 ट्राएम्फ एडवांस्ड एयर डिफेंस मिसाइल प्रणाली में कई मारक दूरी वाली किस्मों की मिसाइलें लगी होती हैं जो 40 किलोमीटर, 120 किलोमीटर, 250 किलोमीटर और चार सौ किलोमीटर की दूरी पर  दुश्मन की मिसाइल को आसमान में ध्वस्त कर सकती हैं। रुस से इस तरह की अत्यधिक अचूक निशाने वाली मिसाइल को हासिल करने पर सहमति 2016 में गोवा ब्रिक्स शिखर बैठक के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री मोदी के बीच बैठक के दौरान हुई थी। 

400 किलोमीटर मारक दूरी वाली मिसाइल 185 किलोमीटर की ऊंचाई पर वायुमंडल के बाहर दुश्मन की मिसाइल से निबटने में सक्षम होगी। एक एस-400 प्रणाली दो बटालियनों में बंटी होती है। हर बटालियन में आठ लांचर होते हैं जो 32 मिसाइलों से लैस होते हैं। इनमें लगे रेडार दुश्मन की हमलावर मिसाइल को देखते ही अपनी मिसाइलों को उसी क्षण सक्रिय कर देेते हैं। रूस ने 90 के दशक में भारत को पुरानी पीढ़ी की एस-300 किस्म वाली मिसाइल सप्लाई करने की पेशकश की थी लेकिन तब भारत ने कहा था कि भारत का अपना  स्वदेशी मिसाइल -नाशक मिसाइल बनाने का कार्यक्रम है। 

उल्लेखनीय है कि भारत के रक्षा शोध संगठन डीआरडीओ ने भी एंटी मिसाइल प्रणाली पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम का विकास किया है लेकिन यह अभी तैनात होने की स्थिति में नहीं है। भारतीय प्रणाली की मारक दूरी भी अधिकतम 80 किलोमीटर है। चूंकि भारतीय मिसाइल प्रणाली को तैनात करने लायक बनाने में कुछ साल और लगेंगे इसलिए भारत के सामने पाकिस्तान और चीन द्वारा पेश तात्कालिक चुनौतियों के मद्देनजर भारत ने राजधानी दिल्ली की रक्षा के अलावा भारतीय आसमान में दुश्मन की मिसाइलों के प्रवेश को रोकने रोकने के लिए पांच एस-400 मिसाइल प्रणाली हासिल करने का फैसला किया। 

रूस ने भारत के पहले चीन और तुर्की के साथ एस-400 मिसाइल प्रणाली बेचने का सौदा किया है। चीन को छह मिसाइलों की सप्लाई अगले साल तक हो जाएगी। जब कि तुर्की के साथ पिछले सितम्बर में ही सौदे पर दस्तखत हुए हैं। रूसी सेनाएं भी इन मिसाइलों को अपनी सरहदों पर तैनात कर रही हैं। रूस ने कहा है कि रूस ने अपने सबसे नजदीकी सामरिक साझेदारों को इन मिसाइलों की सप्लाई करने को मंजूरी दी है।

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