आतंकियों के खिलाफ एक्शन का दिखावा कर रहा पाक, फर्जी FIR से खुली पोल

Sunday, Aug 18, 2019 - 03:14 PM (IST)

इस्लामाबादः  कश्मीर मुद्दे पर पूरी दुनिया में किरकिरी करवाने के बाद पाकिस्तान अब आतंकियों के मुद्दे पर FATF को गुमराह करने के लिए नई चाल चल रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर से दबाव झेलने के बाद पाकिस्तान अपने यहां पल रहे आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर दिखावा कर रहा है। आतंकियों पर नकली एफआईआर दर्ज करने की उसकी पोल खुल गई है । पाकिस्तान, बैंकाक में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (FATF) की एक महत्वपूर्ण बैठक से कुछ दिन पहले वैश्विक समुदाय को फिर से गुमराह कर रहा है। दुनिया व FATF के सामने खुद को पाक-साफ साबित करने के लिए पाकिस्तान आतंकवादियों और आतंकी समूहों के खिलाफ फर्जी और कमजोर एफआइआर दर्ज कर रहा है।

इसके पुख्ता सबूत देते हुए सूत्रों ने बताया कि 1 जुलाई को गुजरांवाला पुलिस स्टेशन में प्रतिबंधित दावत-वल-इरशाद के सदस्यों द्वारा एक भूमि सौदे के खिलाफ एक 'स्रोत' द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।दावत-वल-इरशाद, लश्कर-ए-तय्यबा (LeT) का एक सहायक संगठन जिसके प्रमुख हाफ़िज़ सईद हैं। हालांकि कानून के जानकारों का कहना है कि ये एफआइआर कानून के अनुसार सही तरीके से दर्ज नहीं की गई।

यह है मामला
एएनआई द्वारा एक्सेस की गई एफआईआर कॉपी में लिखा गया है, 'यह एफआइआर दोपहर 1:30 बजे एएसआइ मुमताज अहमद, इरफान अहमद 1199/सी और रिजवान आजम 1184/सी ने दर्ज की, जो उस्मान चौक मलिकवाल पर उस दिन मौजूद थे। सूत्रों ने बताया कि यह एफआइआर मुहम्मद अली की जमीन को आतंकी संगठनों को दिए जाने से जुड़ी है। मुहम्मद अली पुत्र सलीम अख्तर जाति राजपूत जो मलिकवाल शहर के रहने वाले हैं, उन्होंने अपनी एक जमीन जिसका खैवत नंबर 449, खतौनी नंबर 839 से 840 तक, जो उस्मान चौक (राणा टाउन) मोहल्ला फैसलाबादजिला मलिकवाल के पास स्थित है, उन्होंने अपनी जमीन का एक टुकड़ा प्रतिबंधित आतंकी संगठन दावत-वाल-इरशाद को प्रदान की थी, जो लश्कर-ए-तैयबा का एक सहायक आतंकी संगठन है। उन्होंने ये सब ये जानबूझ कर किया कि लश्कर-ए-तैयबा और दावत-वल-इरशाद दोनों एक प्रतिबंधित संगठन है और उनकी जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया जाएगा इसके बावजूद उन्होंने यह जमीन उन्हें दी।'


FIR में नहीं हाफिज सईद का नाम 
FIR में लिखा गया है कि, 'सभी लोग जो प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और उसके सहायक संगठन दावत-वल-इरशाद के सदस्यों ने इस जमीन का इस्तेमाल आतंकी गतिविधियों के लिए किया है। उन्होंने इस जमीन का इस्तेमाल धन एकत्र करके आतंकी फंडिंग के लिए किया और आतंकवादी के प्रचार के लिए भी इस संपत्ति का इस्तेमाल किया गया।' लेकिन FIR में जमात-उद-दावा (JuD) या फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (FIF) के बारे में कुछ भी नहीं लिखा गया है। FIR में सिर्फ जमात-उद-दावा (JuD) के पुराने नाम दावत-वाल-इरशाद के नाम का उल्लेख है। कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि प्रत्येक व्यक्ति की भूमिका को भी सूचीबद्ध नहीं किया गया है और FIR में अपराध की समय-सीमा का भी उल्लेख नहीं किया गया है।

 
FIR  में आगे लिखा गया है, 'मुहम्मद अली पुत्र सलीम अख्तर जाति राजपूत ने एटीए/1997, II-H3(a) (b) के तहत अपना अपराध कबूल किया है कि उन्होंने अपनी संपत्ति प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और दावत-वल-इरशाद को सौंपी है। जिसमे उन्होंने अब्दुल गफ्फार, हाफिज मसूद, अमीर हमजा, हाफिज सईद, मलिक जफर इकबाल को आतंकी फंडिंग के लिए अपनी संपत्ति देने की बात कबूली है। एक कानूनी विशेषज्ञ ने कहा कि एफआईआर ने कानून से जुड़े विशिष्ट कृत्यों के बजाय आतंकवाद के कृत्यों के लिए कमजोर शब्दों का इस्तेमाल किया है।  एक सूत्र ने कहा कि कैसे और किस तरीके से इसे अंजाम दिया है, वह एफआइआर में पूरी तरह से गायब है।

 
बता दें, FATF की अंतिम बैठक अक्टूबर के पहले सप्ताह में आयोजित होने की उम्मीद है, ताकि पाकिस्तान को ग्रे सूची से बाहर करने या इसे ग्रे सूची में रखने या देश को ब्लैक लिस्ट में डालने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया जा सके। FATF की 27 सूत्रीय कार्ययोजना में से सात बिंदु सिर्फ 27 सूत्रीय कार्ययोजना में से, आतंकी वित्तपोषण में शामिल अभियुक्त संगठनों से संबंधित सात बिंदु हैं, ऐसे में इस तरह की कार्रवाईयां दिखाकर पाकिस्तान FATF का ध्यान अपनी ओर करना चाहता है।

Tanuja

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