लॉकडाऊन से पहले पाकिस्तान गए 450 हिंदू-सिख वहीं फंसे, अब रोजी-रोटी के लिए भी पड़े लाले

Friday, Sep 04, 2020 - 10:59 AM (IST)

नई दिल्ली: लगभग 450 पाकिस्तानी हिंदू व सिख सीमा के उस पार फंसे हुए हैं तथा वे भारत लौटने को हरी झंडी मिलने का इंतजार कर रहे हैं। ये लोग भारत लौटने के बाद संशोधित नागरिकता कानून (सी.ए.ए.) के अंतर्गत अपना पंजीकरण कराना चाहते हैं। सिंध के टांडो अल्लाहीयार गए हरतन बताते हैं कि यहां खाने-कमाने का कोई साधन नहीं है। पिछले 6 महीने से उसका परिवार किसी रिश्तेदार के घर रह रहा है। उन्होंने बताया कि उनका बड़ा भाई मालू (34) पांच साल पहले एल.टी.वी. पर भारत आया था तथा आदर्श नगर स्थित कैंप में अपने चार बच्चों के साथ रहता था और मोबाइल कवर आदि बेचकर रोजी-रोटी चलाता था। अब सब लोग सिंध में फंसे हुए हैं। 

28 सदस्य इस साल फरवरी में नोरी वीजा पर पेशावर आए थे
दिल्ली के तिलक नगर में रहने वाले जगमीत सिंह ने बताया कि उनके परिवार के 28 सदस्य इस साल फरवरी में नोरी वीजा पर पेशावर आए थे। अब हम भारतीय उच्चायोग से हमें भारत लौटने के लिए कागजात उपलब्ध कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है। सरकार ने पिछले दिसम्बर में सी.ए.ए. कानून पास किया था जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के प्रताडि़त हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों व ईसाइयों को भारत में नागरिकता देने की बात कही गई है। 

लॉकडाऊन के कारण सीमा के दोनों ओर फंसे लोग
विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि ये वे लोग हैं जो कोरोना लॉकडाऊन से पहले 60 दिन के ‘भारत वापसी के लिए बाध्य नहीं’ वीजा पर रिश्तेदारों से मिलने तथा अपने परिचय-पत्र, पासपोर्ट आदि रीन्यू करवाने गए थे। लॉकडाऊन के कारण सीमा के दोनों ओर फंसे लोगों की मदद के लिए भारत और पाकिस्तान ने मई में विशेष सेवा आरंभ की थी। अधिकारियों ने बताया कि चूंकि इन लोगों के पास अभी भी पाकिस्तान सरकार की ओर से जारी पासपोर्ट है, इसलिए उनकी भारत में पुनर्वापसी एक जटिल प्रक्रिया है। अधिकारियों ने बताया कि जो लोग फंसे हुए हैं, उनके कागजात की अवधि बढ़ा दी गई है। 

Anil dev

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