नजरियाः खालिस्तान आतंकवाद को फिर से बढ़ावा देने की फिराक में है पाक

Wednesday, Sep 11, 2019 - 02:52 PM (IST)

नेशनल डेस्क (रवि प्रताप सिंह): बंटवारे के बाद से ही पाकिस्तान भारत को बर्बाद करने के सपनें संजोए हुआ है। 1971 में भारत से मिली करारी हार और बांग्लादेश के रूप में बना नया देश आज भी उसके लिए नासूर बने हुए हैं। पाकिस्तान भारत को कई टुकड़ों में बांटने की साजिश में लगातार जुटा रहता है। भारत का पंजाब प्रांत पाकिस्तानी सीमा से लगता है। इसलिए यहां पर गड़बड़ी फैलाना उसके लिए अन्य राज्यों की तुलना में अधिक आसान है। पंजाब में खालिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा भी उसकी ही देन थी। कश्मीर पर पूरी दुनिया में मुंह की खाए पाकिस्तान फिर से खालिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने की फिराक में है।

अल्पसंख्यकों को बेहतरी का वादा कर प्रधानमंत्री बने इमरान खान के दौर में भी हिंदुओं, सिखों समेत अन्य अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों का सिलसिला थमा नहीं है। उनके प्रधानमंत्री रहते कई हिंदू और सिख लड़कियों के जबरन निकाह के मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, इन दिनों सिखों के हिमायती बनने का दिखावा कर रहे इमरान खान अपनी सेना और आईएसआई के साथ मिलकर पंजाब में खालिस्तान आतंक को बढ़ावा देना चाह रहे हैं। इसकी धुरी वह सिखों के पवित्र स्थान करतारपुर साहिब को बनाना चाहते हैं। इसका अंदाजा आप पाक के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी के उस बयान से लगा सकते हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि इमरान खान ने करतारपुर की ऐसी गुगली फेंकी जिसमें भारत फंस गया है।

हालांकि, रक्षा विशेषज्ञ तो पहले से ही करतारपुर गलियारे को लेकर भारत सरकार को चेताते रहे हैं। लेकिन सिखों की धार्मिक भावनाओं को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार इस पर आगे बढ़ चुकी है। संभावना है कि गुरूनानक देव के 550वें जन्मदिवस तक करतारपुर गलियारे का काम पूरा हो जाएगा। वैसे, करतारपुर साबिह के विषय में पहली बार वर्ष 1998 में भारत-पाक के बीच बात हुई थी। लेकिन किन्हीं कारणों की वजह से यह वार्ता आगे नहीं बढ़ सकी।  करतारपुर साहिब का महत्व इसलिए अधिक है क्योंकि गुरूनानक जी ने अपने जीवन के आखिरी 18 साल यहीं बिताए थे और जहां उन्होंने देह त्याग किया था वहीं पर करतारपुर साहिब गुरूद्वारा बनाया गया है। इसकी दूरी भारतीय सीमा से महज साढ़े चार किलोमीटर है।   

इतिहास को देखे तो पाकिस्तान ने हर बार भारत की पीठ में खंजर घोंपा है। इसलिए भारत सरकार को इस मामले में हर स्तर पर सावधानी बरतनी चाहिए। हालांकि भारत सरकार की सख्ती के बाद ही खालिस्तानी गोपाल सिंह चावला को पाकिस्तान गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी से हटा दिया गया था। लेकिन हमें याद रखना चाहिए कि इसके बावजूद वह सिख युवकों को बरगलाने का कोई मौका नहीं छोड़ता। करतारपुर साहिब में उसकी आवाजाही भविष्य के खतरे की और इशारा कर रही है।

सिखों के प्रति अचानक पाकिस्तान का प्यार उमड़ना अपने आप में एक बड़ा संकेत है जिसे भारत को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। इमरान खान की शान में कशीदे पढ़ने वाले भारतीय नेताओं को भी पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के पूर्व विधायक बलदेव कुमार से कुछ सबक लेना चाहिए। इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के सदस्य रह चुके बलदेव कुमार इन दिनों भारत में हैं और पाक द्वारा अल्पसंख्यकों पर किए जा रहे अत्याचारों को बया कर रहे हैं।

Ravi Pratap Singh

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