भारत का विरोध कर फंसे नेपाल के PM ओली; स्थाई समिति की बैठक रद्द, पाक-चीन बेचैन

Saturday, Jul 04, 2020 - 12:53 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः चीन की शह पर नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी. ओली भारत के खिलाफ बयानबाजी के बाद बुरी तरह फंस गए हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार ओली के इस्तीफे को लेकर होने वाली स्थाई समिति की बैठक रद्द कर दी गई है।  नक्शा विवाद सहित कई अन्य भारत विरोधी कार्रवाइयों के कारण ओली को अपने ही देश में बगावत का सामाना करना पड़ रहा है जिस कारण उनकी कुर्सी खतरे में नजर आ रही है। भारत के खिलाफ नेपाल को मोहरा बना रहे चीन और पाकिस्तान ओली को राजनीतिक संकट में देख कर बेचैन है और उसे बचाने के लिए पूरा जोर लगा रहे हैं।  नेपाल की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी में ज्यादातर लोग इस वक्त ओली के खिलाफ हैं। भारत विरोधी टिप्पणी करने को लेकर प्रधानमंत्री पद से ओली के इस्तीफे की बढ़ती मांग के मद्देनजर शनिवार को स्थायी समिति की अहम बैठक रखी गई थी जिसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया है । 

 आधिकारिक घोषणा के मुताबिक बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित हुई है। प्रधानमंत्री के प्रेस सलाहकार सूर्य थापा ने बताया कि लंबित मुद्दों पर सहमति बनाने के लिए नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (एनसीपी) के शीर्ष नेताओं को और वक्त की जरूरत है, इसलिए बैठक सोमवार तक के लिए स्थगित की गई है। पार्टी की स्टेंडिंग कमिटी के 44 में से 30 लोगों ने ओली से इस्तीफा देने को कहा है। ऐसे में अब अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए ओली नया दांव चलने की तैयारी में हैं। ओली अब अपनी ही पार्टी को तोड़ने और विपक्षी पार्टी का साथ लेकर सरकार में बने रहने का प्लान बना रहे हैं और इसमें चीन और पाकिस्तान उन्हें खुला समर्थन दे रहे हैं। यह सब आसानी से हो पाए इसके लिए वह कुछ नियमों में बदलाव करने की तैयारी में हैं। बजट सत्र को स्थगित करने के बाद अब केपी ओली एक अध्यादेश लाकर पार्टी को तोड़ सकते हैं। इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक ओली वहां मुख्य विपक्षी पार्टी नेपाली कांग्रेस के संपर्क में हैं, जिनसे उन्हें समर्थन मिल सके।

दरअसल, ओली अध्यादेश लाकर पॉलिटिकल पार्टीज एक्ट में बदलाव कर सकते हैं। इससे उन्हें पार्टी को बांटने में आसानी होगी। यह सब चीन और पाकिस्तान के समर्थन से हो रहा है। नक्शे पर विवाद के बीच ओली भारत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। इसके बाद ही पाकिस्तानी पीएम इमरान खान ने ओली से संपर्क साधा था। दूसरी तरफ नेपाल में मौजूद चीनी राजदूत भी इसकी कोशिशों में लगे हैं कि ओली को सत्ता में बनाए रखा जा सके। हाल में ओली द्वारा उठाए गए कुछ कदमों के पीछे चीनी राजदूत का रोल अहम बताया जाता है। पार्टी की स्टेंडिंग कमेटी के 44 में से 30 लोगों द्वारा ओली से इस्तीफा मांगने के बाद ओली को अपनी स्थिति मजबूत करने का वक्त मिलेगा और जबतक उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी नहीं लाया जा सकेगा और जरूरत पड़ने पर वह पार्टी को बांट भी सकेंगे।

पार्टी में कुछ खास नाम हैं जिनसे ओली की नहीं बन रही। इसमें पुष्प कमल दहल, बामदेव गौत, झाला नाथ और माधव कुमार नेपाल शामिल हैं। बता दें कि अगर पार्टी टूटती है तो ओली को अपने समर्थन में 138 सांसद दिखाने होंगे लेकिन अध्यादेश के बाद उन्हें सिर्फ 30 प्रतिशत सांसद का सपॉर्ट दिखाना होगा। ऐसे में ओली के लिए चीजें आसान होंगी क्योंकि 40 प्रतिशत सांसद उनकी तरफ हैं।

Tanuja

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