कश्मीर आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान की ईर्ष्या

Sunday, Jan 28, 2018 - 11:51 AM (IST)

नई दिल्ली: कश्मीर में पिछले करीब तीन दशक से जारी आतंकवाद के पीछे भले ही पाकिस्तान के राजनीतिक, ऐतिहासिक और भौगोलिक कारण हों लेकिन इसका सबसे बड़ा कारण भारत और विशेषकर इसके मुस्लिम समुदाय की प्रगति से उसके अंदर पनपी ईष्र्या भावना है। ‘कश्मीर में आतंकवाद (आंखो देखा सच)’ शीर्षक से हाल में प्रकाशित पुस्तक में कहा गया कि अस्सी के दशक में कश्मीर में शुरू हुआ आतंकवाद मुख्य रूप से पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित है।

भारतीय मुस्लिमों की प्रगति से पाक दुखी
पाकिस्तान के कश्मीर में आतंकवाद फैलाने के ऐतिहासिक, राजनीतिक और भौगोलिक कारण हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण पाकिस्तान के मन में पनप रही ईर्ष्या है। इस ईर्ष्या का कारण उसके दो राष्ट्र के सिद्धांत का झूठा प्रमाणित होना या अस्वीकार कर दिया जाना है। वह इस बात से अत्यंत दुखी रहता है कि भारतीय मुसलमान हर दृष्टि से और हर क्षेत्र में प्रगतिशील हैं। कश्मीर घाटी में 1992 से 1994 तक आतंकवाद विरोधी अभियान में हिस्सा लेने वाले तथा 1997 से 1999 तक नियंत्रण रेखा पर तैनात रहे मेजर सरस त्रिपाठी ने अपने अनुभवों के आधार पर यह पुस्तक लिखी है। उनका कहना है कि पाकिस्तान को इससे अधिक कष्ट किस बात से हो सकता है कि भारत में प्रधानमंत्री पद को छोड़कर प्राय: सभी पदों पर भारतीय मुसलमान विराजमान हो चुके हैं जिसमें राष्ट्रपति का पद भी शामिल है। दो राष्ट्र के सिद्धांत के संपूर्ण तर्क को भारत ने अपनी धर्मनिरपेक्षता और समतावादी नीति को अपना कर झूठा प्रमाणित कर दिया है।

नौजवानों को प्रलोभन देता है पाक
भारतीय मुसलमान विश्व के सर्वश्रेष्ठ और कुशाग्र साबित हुए हैं। यह पाकिस्तान की जलन का सबसे बड़ा कारण है और इसी के परिणामस्वरूप वह वही करता रहता है जो वह जानता है- विध्वंस, घृणा एवं संघर्ष और युद्ध। पुस्तक में कहा गया है कि अपने घृणित उद्देश्य को पाने के लिए पाकिस्तान ने कश्मीर के नौजवानों को प्रलोभन देकर आकर्षित किया, आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षित किया और हथियार देकर वापस कश्मीर में सशस्त्र संघर्ष के लिये धकेल दिया ताकि वे चुन चुनकर हिंदुओं( कश्मीरी पंडितों) का सफाया कर सकें परंतु ये हत्यायें हिंदुओं तक सीमित नहीं रह सकीं। हर उस व्यक्ति को निशाना बनाया गया, चाहे वह मुसलमान ही क्यों न हो ,जो भारतीय संविधान के प्रति वफादार था और सहिष्णुता, धर्मनिरपेक्षता जैसे भारतीय मूल्यों में विश्वास करता था।

भाईचारे के नाम पर फैलाई आग
जम्मू-कश्मीर में 1987 में हुए विधानसभा चुनावों को भी कश्मीर में स्थिति बिगड़ने के पीछे एक कारण बताया गया है। पुस्तक के अनुसार, इस चुनाव में तथाकथित विजयी उम्मीदवारों को धोखाधड़ी करके हरा दिया गया था। इसके कारण न सिर्फ कट्टरपंथी बल्कि किसी सीमा तक जनसाधारण भी निराशा और असहाय की स्थिति में चले गए थे जो कश्मीर में आतंकवाद के फैलने के तथाकथित कारणों में से एक गिना जाता है। परिणामस्वरूप अलगाववादियों को ऐसे तत्वों, संस्थाओं एवं देशों से मदद लेने का बहाना मिल गया जो कश्मीर को लेकर भारत में उन्माद फैलाना चाहते थे। इनमें पाकिस्तान अग्रणी था और उसे यह अवसर भारत को लहूलुहान करने के अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए उचित लगा। मुसलिम भाईचारे के नाम पर उसने कश्मीर में आग लगाने की सभी विधियों को अंजाम दिया। इस पुस्तक में सैन्य कार्रवाइयों पर आधारित 14 सत्य घटनाओं के जरिए कश्मीर की स्थिति, वहां के लोगों की भावना, उनके व्यवहार और पीड़ा को उकेरा गया है। इन घटनाओं का एक सेनाधिकारी द्वारा प्रस्तुत किया गया विवरण मानव जीवन के विभिन्न रंगों और भावनाओं को प्रदर्शित करने के साथ ही उन सभी पात्रों को सामने लाता है जो कश्मीर की समस्या से संबंधित हैं।

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