इस्लामाबाद में कृष्ण मंदिर पर मौलाना की धमकी-"निर्माण हुआ तो सिर काट कर कुत्तों को डाल देंगे" (Video

Thursday, Jul 09, 2020 - 10:31 AM (IST)

इस्लामाबादः पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में पहला हिंदू मंदिर को लेकर बवाल बढ़ता जा रहा है। मंदिर निर्माण को लेकर अब मुस्लिम धर्मगुरूओं और कट्टरपंथियों ने खुलेआम धमकाना शुरू कर दिया है । मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान की धार्मिक सभाओं में कुछ कट्टरपंथी मौलाना कृष्ण मंदिर बनाने पर सरेआम धमकियां दे रहे हैं। पाकिस्तान के आलोचक और लेखक तारिक फतेह ने ऐसे ही एक मौलाना का ट्वीट कर दावा किया है कि मंदिर बनाने पर खुलेआम सिर काट कर मंदिर के बाहर ही कुत्तों के सामने डालने की की धमकी दी गई है।

गौरतबल है कि कट्टरपंथियों के विरोध के आगे इमरान सरकार ने कृष्ण मंदिर बनाने का फैसला पहले ही वापस ले लिया है। तारेक ने जो वीडियो ट्वीट किया है उसमें दिखाई दे रहा है कि मौलाना एक धार्मिक सभा में धमकी दे रहे हैं कि जो लोग इस्लामाबाद में हिंदू मंदिर का समर्थन कर रहे हैं उनका सिर कलम कर दिया जाएगा। मोलानावह भीड़ से कहते हैं, 'तुम्हारे सिर मंदिर में चढ़ा दिए जाएंगे ।' कट्टरपंथी मौलाना आगे कहता है, 'मस्जिदें चंदों से बन रही हैं और मंदिर पाकिस्तान के खजाने से पैसे निकालकर बनाए जा रहे हैं। . अगर तुम मंदिर बनाओगे तो पाकिस्तान, गैरतमंद कौम तुम्हारी गर्दनें काटकर मंदिर के सामने फिरने वाले कुत्तों को डाल देंगे। '

बता दें कि इससे पहले कृष्ण मंदिर के निर्माण पर रोक लगने के बावजूद अब कट्टरपंथियों ने मंदिर की जमीन पर जबरन अजान दी । एक मौलाना के नेतृत्व में कुछ लोगों ने मंदिर के लिए रखी गई नींव और दीवार को भी गिरा दिया था। इमरान सरकार ने दो दिन पहले ही मुस्लिम कट्टरपंथियों के फतवे के आगे घुटने टेकते हुए मंदिर के निर्माण पर रोक लगा दी थी।

 

इस मंदिर का निर्माण पाकिस्‍तान के कैपिटल डिवेलपमेंट अथॉरिटी कर रही थी। पाकिस्‍तान सरकार ने अब मंदिर के संबंध में इस्‍लामिक ऑइडियॉलजी काउंसिल से सलाह लेने का फैसला किया है। मजहबी शिक्षा देने वाले संस्थान जामिया अशर्फिया ने मुफ्ती जियाउद्दीन ने कहा कि गैर मुस्लिमों के लिए मंदिर या अन्य धार्मिक स्थल बनाने के लिए सरकारी धन खर्च नहीं किया जा सकता।

पाक में हिंदू अल्पसंख्यक सालों से मंदिर की मांग कर रहे थे। ये मंदिर इस्‍लामाबाद के H-9 इलाके में 20 हजार वर्गफुट के इलाके में बनाया जा रहा था। पाकिस्‍तान के मानवाधिकारों के संसदीय सचिव लाल चंद्र माल्‍ही ने इस मंदिर की आधारशिला रखी थी। इस दौरान मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए माल्‍ही ने बताया कि वर्ष 1947 से पहले इस्‍लामाबाद और उससे सटे हुए इलाकों में कई हिंदू मंदिर थे। इस मंदिर के खिलाफ हाई कोर्ट में एक वकील ने भी याचिका दी थी जिस पर कोर्ट ने कहा था कि सरकार को अल्पसंख्यकों के अधिकारों का भी ख्याल रखना चाहिए।

Tanuja

Advertising