‘हां, हम हिंदू हैं’ पर्यटक के इतना कहते ही आतंकी ने शुरू कर दी अंधाधुंध फायरिंग, चश्मदीदों ने बयां किया खौफनाक मंजर

punjabkesari.in Wednesday, Apr 23, 2025 - 07:35 AM (IST)

नेशनल डेस्क: जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में स्थित बैसारन घाटी एक बार फिर दहशत और खून से लाल हो गई। हरे-भरे मैदान, जिनमें अक्सर पर्यटकों की हंसी गूंजती थी, अब गोलियों की आवाज और चीखों से कांप उठे। हाल ही में हुए आतंकी हमले ने न सिर्फ कश्मीर के बदलते माहौल पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि यह घाटी की सांप्रदायिक एकता और पर्यटक-सुरक्षा के दावों पर भी करारा प्रहार है।

 भीषण आतंकी हमले में महाराष्ट्र के पुणे निवासी संतोष जगदाले और उनकी पत्नी भी गंभीर रूप से घायल हो गए हैं। दोनों को गोली लगी है और फिलहाल उनका इलाज पहलगाम के स्थानीय अस्पताल में किया जा रहा है।

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने संतोष जगदाले के परिवार से फोन पर संपर्क कर हालचाल जाना और हर संभव मदद का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री कार्यालय स्थिति पर नजर बनाए हुए है और जरूरत पड़ने पर घायल दंपती को बेहतर इलाज के लिए एयरलिफ्ट करने की भी तैयारी की जा रही है। 

बैसारन में धर्म पूछकर गोलियां बरसाईं

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक आतंकियों ने हमला करने से पहले पर्यटकों से धर्म पूछा। एक महिला पर्यटक ने बताया कि जब उन्होंने ‘हां, हम हिंदू हैं’ कहा, तो आतंकियों ने उन पर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। इस भयावह हमले में कई पर्यटक घायल हो गए जिन्हें आनन-फानन में नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

स्थानीय लोगों ने दिखाई इंसानियत

हमले के तुरंत बाद, जब चारों तरफ अफरा-तफरी मची थी, तब सबसे पहले स्थानीय लोग ही मदद को आगे आए। एक स्थानीय टूरिस्ट गाइड और पुलिसकर्मी ने बताया कि उन्होंने तीन घायलों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया। कई और स्थानीय लोग भी बिना डरे घायलों की मदद में जुट गए। यह दर्शाता है कि आतंक की यह कार्रवाई न केवल बाहरी सैलानियों, बल्कि स्थानीय इंसानियत के जज़्बे पर भी हमला था।

पर्यटन पर तगड़ा झटका

बैसारन में गोलियों की गूंज ने पर्यटन उद्योग को गहरा धक्का दिया है। गुलज़ार अहमद नामक एक स्थानीय नागरिक ने कहा, “जो भरोसा हमने सालों में अपने पर्यटकों के साथ बनाया था, वह एक हमले ने तोड़ दिया। अब लोग डरेंगे, और यह हमारे भविष्य पर असर डालेगा।”

अमरनाथ यात्रा से ठीक पहले आतंकी हमला

यह हमला ऐसे समय हुआ है जब घाटी में अमरनाथ यात्रा की तैयारियां जोरों पर थीं। 3 जुलाई से शुरू होने वाली यात्रा को लेकर सुरक्षा के व्यापक इंतज़ाम किए जा रहे थे। ऐसे में यह हमला यात्रा की सुरक्षा और कश्मीर के शांतिपूर्ण माहौल को अस्थिर करने की साजिश के रूप में देखा जा रहा है।

सांस्कृतिक सहिष्णुता पर हमला?

घटनाओं की कड़ी जोड़ें तो ये हमला केवल एक आतंकी वारदात नहीं बल्कि घाटी की बदलती छवि पर एक संगठित हमला प्रतीत होता है। हाल ही में नेशनल कॉन्फ्रेंस सांसद आगा सैयद रुहुल्लाह द्वारा पर्यटन को "सांस्कृतिक आक्रमण" कहे जाने के बाद इस तरह की घटना ने गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं—क्या ये विचारधाराएं ही आतंक को पोषित कर रही हैं?

 


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Content Writer

Anu Malhotra

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