राजस्थान के सिनेमाघरों और मल्टीप्लेक्स में नहीं प्रदर्शित होगी ‘पद्मावत’

Wednesday, Jan 24, 2018 - 09:43 PM (IST)

जयपुर: संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावत को राजस्थान के सिनेमा घरों और मल्टीप्लेक्स पर प्रदर्शित नहीं होगी। राजस्थान में कानून व्यवस्था के दृष्टिगत सिनेमा घरों के मालिकों और मल्टीप्लेक्स के मालिकों ने फिल्म को परदे पर नहीं दिखाने का निर्णय लिया है।

राजपूत करणी सेना के फिल्म का विरोध जारी रखने के पर कायम रहने के बाद प्रदर्शनकारियों ने बुधवार को प्रदेश में अपना आंदोलन तेज कर दिया है। हालांकि स्थिति पूर्णतया नियंत्रण में है। राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि प्रदेश का एक भी सिनेमाघर फिल्म को दिखाने के लिए तैयार नहीं है। कटारिया ने बुधवार को अलवर में मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रदेश में एक भी सिनेमाघर ऐसा नहीं है जो फिल्म को दिखाने को तैयार हो। उन्होंने कहा कि जो फिल्म का विरोध कर रहें है उन्हें भी अदालत में जाना चाहिए और इतिहास, समाज और प्रदेश के सम्मान की दृष्टि से अपना पक्ष वहां रखना चाहिए। प्रदर्शनकारियों को कानून हाथ में नहीं लेना चाहिए। 

उन्होंने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है और उसके लिए जरूरी कदम उठाएंगे। लेकिन हम प्रदर्शनकारियों से आग्रह करते है कि वे विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक तरीके से करें। आईनोक्स सिनेमा के वरिष्ठ अधिकारी अमिताभ जैन ने कहा कि भारत के मल्टीपलेक्स एसोसिएशन के राजस्थान के सदस्यों ने प्रदेश में मौजूदा कानून व्यवस्था के दृष्टिकोण से फिल्म को परदे पर नहीं उतारने का निर्णय लिया है। वहीं प्रदेश के कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने फिल्म के विरोध में प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने सीकर के नीमकाथाना में रोडवेज की दो बसों पर पत्थर मारकर शीशे तोड दिए। वहीं जयपुर के कालवाडा क्षेत्र में कुछ समय के लिए सडक पर जाम लगाया गया। 

पाली में कुछ लोगों ने रैली निकाली और जालौर के एक कस्बे में बंद रखा गया। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) एन आर के रेड्डी ने मीडिया को बताया कि फिल्म के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने प्रदेश के अलग अलग हिस्सों से प्रदर्शन किया है। सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए है। बीकानेर में कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर अनिल गुप्ता को राष्ट्रपति के नाम दिए एक ज्ञापन में फिल्म को परदे पर नहीं उतरने देने की मांग की है।  

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