ऑफ द रिकॉर्ड: PDP सांसदों पर गिर सकती है आचार समिति की गाज

Saturday, Aug 31, 2019 - 05:59 AM (IST)

नेशनल डेस्क: इस महीने के शुरू में राज्यसभा के चैंबर में संविधान की प्रति फाड़ कर चर्चा में आए पी.डी.पी. के 2 सांसदों को अब कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। सदन में उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय राज्यसभा अध्यक्ष एम. वेंकैया नायडू ने इस मामले को संसद की आचार समिति को भेजने का फैसला लिया था। हालांकि सदन के पास उन्हें प्रस्ताव के माध्यम से तुरंत सदन से बर्खास्त करने का अधिकार था लेकिन अध्यक्ष ने यह फैसला लिया कि उनके आचरण के मामले को आचार समिति देखेगी। 

भाजपा के वरिष्ठ नेता डा. विनय सहस्रबुद्धे आचार समिति के अध्यक्ष हैं। उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि राज्यसभा अध्यक्ष ने विदेश दौरे पर जाने से पहले यह मामला आचार समिति को सौंप दिया था। पी.डी.पी. के 2 सांसदों नजीर अहमद लवे और मीर मोहम्मद फैयाज ने उस समय संविधान के पन्ने और अपने कपड़े फाड़ लिए थे जब केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह राज्यसभा में 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से संबंधित 2 विधेयक पेश कर रहे थे। नजीर अहमद को ऐसा नहीं करने को कहा गया था लेकिन उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया और संविधान के पन्ने फाडऩा जारी रखा। दूसरे सांसद फैयाज अहमद मीर ने अपना कुर्ता फाड़ डाला क्योंकि 2 दिन बाद राज्यसभा स्थगित कर दी गई थी इसलिए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं की जा सकी, सिवाय इसके कि उन्हें तुरन्त प्रभाव से 7 अगस्त तक सदन से निलम्बित कर दिया गया था। 

इस बीच पी.डी.पी. सांसदों को उनकी पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती द्वारा निर्देश दिया गया था कि वे जम्मू-कश्मीर के संबंध में केन्द्र के कदम के विरोध में सदन से इस्तीफा दे दें। ये दोनों सांसद श्रीनगर यात्रा पर लगे प्रतिबंधों के चलते दिल्ली में ही रुके हुए हैं। हालांकि उन्होंने मुफ्ती के निर्देशानुसार संसद से इस्तीफा नहीं दिया है जो राज्य के कई अन्य नेताओं के साथ नजरबंद हैं। 

लवे और मीर का कहना है कि उन्होंने इस्तीफा इसलिए नहीं दिया क्योंकि वे इस संबंध में मुफ्ती के निर्देशों संबंधी मीडिया की रिपोर्ट्स की पुष्टि करना चाहते हैं। उनमें से एक ने यह भी कहा कि कुछ अन्य सांसदों ने उन्हें कहा है कि इस्तीफा देने से कोई मकसद हल नहीं होगा। खास बात यह है कि इन दोनों सांसदों ने तीन तलाक के खिलाफ वोट नहीं दिया था और पार्टी व्हिप का उल्लंघन किया था लेकिन इससे पहले कि महबूबा उनके खिलाफ कार्रवाई करतीं, जम्मू-कश्मीर से संबंधित विधेयक पेश हो गए और उसके बाद असमंजस की स्थिति बन गई।

Pardeep

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