ओवैसी ने तीन तलाक को बताया संविधान विरोधी, कहा- हिंदू महिलाओं की क्यों नहीं करते चिंता?

Friday, Jun 21, 2019 - 04:26 PM (IST)

नेशनल डेस्क: मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक 2019 को लोकसभा में शुक्रवार को पेश किया गया। इस दौरान प्रस्तावित विधेयक के गुणदोषों एवं प्रक्रियागत मसलों पर सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी तकरार भी हुई। विधेयक को सदन में प्रस्तुत करने की कार्यवाही आरंभ हुई तो ऑल इंडिया मजलिसे इत्तेहादुल मुसलमीन के सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने इसे संविधान विरोधी व आर्टिकल 14 और 15 का उल्लंघन करार दिया। 


ओवैसी ने कहा कि अगर किसी गैर मुस्लिम पति को जेल में डाला जाएगा तो उसको एक साल की सजा होगी और मुस्लिम को तीन साल की सजा मिलेगी। यह अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन है, यह संविधान के खिलाफ बिल है। आप महिला के साथ नहीं हैं, जो पति तीन साल जेल में रहेगा तो महिला का भत्ता कौन देगा, आप देंगे भत्ता? उन्होंने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर आप मुस्लिम महिलाओं की इतनी चिंता करते हैं तो आप सबरीमला के मुद्दे पर हिन्दू महिलाओं के बारे में चिंता क्यों नहीं करते। 

हैदराबाद से सांसद ने कहा कि इस बिल से कोई फायदा नहीं होगा बल्कि मुस्लिम महिलाओं को नुकसान होगा यह विधेयक पहले तो हमारे संविधान के मूल अधिकारों के खिलाफ है। अगर आप कोई कानून बना रहे हैं तो उसके तहत रीजनेबल क्लासिफिकेशन होनी चाहिए। मौजूदा समय में दूसरे कई कानून हैं जिसमें घरेलू हिंसा कानून जो की काफी पॉवरफुल है।उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला है, जिसमें तीन तलाक को रद्द कर दिया गया। ऐसे में अगर कोई तलाक देता है तो शादी नहीं टूटेगी, ऐसे आप उसका अपराधीकरण कर रहे हैं। 


ओवैसी ने इस विधेयक को पेश करने के पहले मतविभाजन की मांग की। मतविभाजन में 186 सदस्यों ने समर्थन में और 74 सदस्यों ने विरोध में वोट दिया। यह विधेयक 2017 और 2018 में लोकसभा से दो बार पारित किया गया था लेकिन राज्यसभा में अटक गया था। यह विधेयक 21 फरवरी को जारी अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है। 

vasudha

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