2 लाख से ज्यादा चीनी सैनिक युद्ध के लिए ‘रेडी मोड’ पर

Wednesday, Jul 22, 2020 - 01:37 PM (IST)

नई दिल्ली: सैन्य कमांडरों के बीच 14 घंटे तक चली चौथे दौर की वार्ता के एक सप्ताह के बाद भी पैंगोंग लेक इलाके में भारत एवं चीनी सेनाओं के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। चीनी सेना फिंगर-5 इलाके में डटी हुई है तथा पिछले छह दिनों में उसके पीछे हटने के कोई संकेत नहीं मिले हैं। तनाव के बीच भारतीय सैन्य अधिकारी चीन की पीपल्स लिब्रेशन आर्मी द्वारा भारत के साथ लगती सीमा व आसपास के सैन्य जिलों में तैनात चीनी सैनिकों की गणना में लगे हुए हैं। 

 

यू.एस. बेस्ड पी.एल.ए. एक्सपर्ट, डैनिस ब्लास्को ने बताया है कि एक अनुमान के अनुसार सीमा पर चीन की तरफ 2,35,000 पी.एल.ए. सैनिक तैनात हैं, जिनमें सीमा सुरक्षा कर्मी और पी.एल.ए. के वैस्टर्न थिएटर कमांड के तहत पी.एल.ए. की अत्याधुनिक मोबाइल ऑप्रेशन इकाइयां शामिल हैं, जोकि भारतीय सीमा और चीन के बाकी स्वायत्त क्षेत्रों तिब्बत और झिंजियांग की निगरानी करती हैं। मार्च महीने में हार्वर्ड के कैनेडी स्कूल के बैलफर सैंटर ने भी अनुमान लगाया था कि तिब्बत और झिंजियांग सैन्य जिलों सहित पश्चिमी थिएटर कमान के तहत कुल 200,000-230,000 चीनी सैनिक ग्राऊंड पर युद्ध के लिए तैयार बर तैयार(रैडी मोड पर) हैं। इसमें पी.एल.ए. बॉर्डर डिफैंस यूनिट्स जो स्थायी रूप से सीमा पर तैनात हैं। इसके काम में सीमा प्रबंधन और सीमा पर गश्त करना शामिल है। 

वैस्टर्न थिएटर कमांड
पी.एल.ए. के वैस्टर्न थिएटर कमांड में दो ग्रुप आर्मीज हैं- जोकि कोर के बराबर हैं। सिचुआन में मुख्यालय वाली 77वीं ग्रुप आर्मी में 6 कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड और 7 सपोर्ट ब्रिगेड शामिल हैं। इनमें से 3 कंबाइंड आम्र्स ब्रिगेड तिब्बत में स्थित हैं, जो सिचुआन में लगभग 35,000 कर्मियों की ताकत को कम करते हैं। ये ल्हासा में लगभग 1,400 किलोमीटर एरिया में स्थित हैंं। निंग्जिया में मुख्यालय वाली 76वीं ग्रुप आर्मी में कंबाइंड आम्र्स ब्रिगेड और 6 सपोर्ट ब्रिगेड शामिल हैं। इसके 50,000 सैनिक ल्हासा से लगभग 1,600 किलोमीटर एरिया में किन्हाई, गांसु और ङ्क्षनग्जिया में स्थित हैं। 

 

चीन की 16 बॉर्डर डिफैंस रैजीमैंट
इंटरनैशनल इंस्टीच्यूट फॉर स्ट्रैटैजिक स्टडीज (आई.आई.एस.एस.) के अनुसार, 16 बॉर्डर डिफैंस रैजीमैंट, लगभग 40,000 कर्मियों के साथ, तिब्बत और झिंजियांग की भारत, नेपाल और भूटान के साथ 5,000 किलोमीटर की सीमा की निगरानी करती है। ये बॉर्डर डिफैंस रैजीमैंट्स सीमा के बाहर सुदूर चौकियों में फैली हुई हैं, जो इलाके की निगरानी के लिए कभी-कभी छोटे ड्रोन का उपयोग करके या फिर पैदल और वाहन द्वारा चौकी के बीच गश्त का संचालन करती हैं। ब्लास्को का कहना है कि रूटीन में गश्ती दल दस्तों (लगभग आठ आदमी) या कभी-कभी पल्टून (लगभग 40 सैनिक) के रूप में पैट्रोङ्क्षलग करते हैं। इसका काम निरीक्षण करना और रिपोर्ट करना है। ये वे गश्ती दल हैं जो भारतीय गश्ती दल के संपर्क में आते रहते हैं। युद्ध संचालन पी.एल.ए. की ‘मोबाइल ऑप्रेशनल यूनिट्स’ या ‘कंबाइंड आम्र्स ब्रिगेड’ का काम है। इन्हें पी.एल.ए. के ‘समूह सेनाओं’ को सौंपा गया है या तिब्बत और झिंजियांग सैन्य जिलों के तहत रखा गया है। कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड का गठन 2017 में पी.एल.ए. के दूरगामी सुधारों के तहत बनाई गई लड़ाकू संरचनाओं में से एक है। इसमें 5,000-6,000 सैनिक शामिल हैं। इस ब्रिगेड के पास बख्तरबंद वाहन, तोपखाने और वायु रक्षा बंदूकें, इंजीनियर और ब्रिगेड के लिए आवश्यक अन्य शाखाएं हैं, जो स्वतंत्र रूप से परिचालन कार्य करती हैं।

लद्दाख के सबसे निकट झिंजियांग सैन्य जिला 
लद्दाख के सबसे निकट झिंजियांग सैन्य जिला है, जिसमें चार पैदल सेना डिवीजन हैं और एस.ओ.एफ., आर्टिलरी, एयर डिफैंस, सेना विमानन, खुफिया और टोही ब्रिगेड और अतिरिक्त सहायता इकाई है। इसके 50,000-60,000 कर्मचारी व्यापक रूप से बिखरे हुए हैं। लद्दाख का निकटतम गठन - गलवान से लगभग 600 किलोमीटर के एरिया में - दक्षिणी झिंजियांग में 6वां मैकेनाइज्ड इन्फैन्ट्री डिवीजन है, जिसमें लगभग 10,000 कर्मचारी और बड़ी संख्या में टैंक हैं। झिंजियांग सैन्य जिला कमांडर, मेजर जनरल लियू लिन, भारत के 14 कोर के कमांडर लैफ्टिनैंट जनरल हरिंदर सिंह के साथ वरिष्ठ सैन्य कमांडरों की वार्ता में भाग लेते रहे हैं। लियू शायद अक्साई-चिन में सीमा इकाइयों की देखरेख करते हैं। ब्लास्को का अनुमान है कि पी.एल.ए. ने संभवत: पांच-छह कंबाइंड आम्र्स ब्रिगेड को डेपसांग, गलवान, हॉट  पैंगोंग त्सो, डेमचोक और चुमार सैक्टरों में तैनात किया है। इनमें से प्रत्येक सैक्टर में, पी.एल.ए. ने चीन की तरफ एल.ए.सी. पर एक या दो बटालियन (प्रत्येक में 500 पुरुष) को फ्रंट पर आगे किया होगा, जबकि एक और दो-तीन बटालियन, साथ ही सहायक हथियारों और रसद के साथ सपोर्ट पर होंगी। ब्लास्को कहते हैं कि एक सामान्य सीमा सुरक्षा रैजीमैंट के लिए गलवान या पैंगॉन्ग लेक में बिल्ड-अप में बताए गए एक ही स्थान पर अधिक बल केंद्रित करना बहुत मुश्किल होगा, जबकि पूरे क्षेत्र की निगरानी करने की जिम्मेदारी जारी है। ब्लास्को निष्कर्ष निकालते हैं कि भारत में घुसपैठ संभवत: पी.एल.ए. के बेहतर प्रशिक्षित और सुसज्जित ‘मोबाइल ऑप्रेशनल यूनिट्स’ द्वारा की गई होगी। उनका कहना है कि गलवान और पैंगोंग झील क्षेत्रों के लिए जारी की गई वाणिज्यिक उपग्रह इमेजरी भी पी.एल.ए. की मोबाइल ऑप्रेशनल यूनिट्स की तैनाती का सुझाव देती है।

बार्डर फोर्स का विभाजन
भारत के विपरीत बार्डर फोर्स (सीमा बल) की कमान झिजियांग सैन्य जिला (एम.डी.) और तिब्बत सैन्य जिला के बीच विभाजित है। तिब्बत के सैन्य जिला में, ब्लास्को ने अनुमान लगाया है कि नियमित सेना में लगभग 50,000 सैनिक हैं, जो 3 कंबाइंड आर्म्स (या हल्के पर्वत पैदल सेना) ब्रिगेड में विभाजित हैं, इसमें कम से कम 8 सपोर्ट ब्रिगेड (एस.ओ.एफ., तोपखाने, वायु रक्षा, सेना विमानन, इंजीनियर और रासायनिक रक्षा, ई.सी.एम., मोटर परिवहन), और रसद गोदाम व डिपो शामिल हैं। इनमें से अधिकांश ल्हासा के आसपास तैनात हैं, लद्दाख से लगभग 1,400-1,600 किलोमीटर के एरिया में।

 

सैन्य आकलन 

झिंजियांग

  • 4 इंफैंटरी डिवीजन, एस.ओ.एफ., तोपखाना, वायु रक्षा, विमानन और खुफिया ब्रिगेड तथा सपोर्ट यूनिट्स 
  • कुल: 50-60,000 सैनिक

 किन्हाई, गांसू और निंग्जिया

  • 76वीं ग्रुप आर्मी: 6 कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड्स, 7 सपोर्ट ब्रिगेड 
  • कुल : 50,000 सैनिक

सिचुआन, चोंग्किंग

  • 77वीं ग्रुप आर्मी: 6 कंबाइंड आम्र्स ब्रिगेड्स(3 तिब्बत में तैनात, 7 सपोर्ट ब्रिगेड सिचुआन में तैनात) 
  • कुल: 35,000 सैनिक

तिब्बत

  • 3 कंबाइंड आर्म्स ब्रिगेड्स(2 लाइट/माऊंटेन), 8 सपोर्ट ब्रिगेड और 77वीं ग्रुप आर्मी: 3 कंबाइंड आम्र्स ब्रिगेड्स  
  • कुल: 50,000 सैनिक

बार्डर डिफैंस यूनिट्स

  • 16 रैजीमैंट्स, अतिरिक्त स्वतंत्र बटालियन

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