जयशंकर ने ‘एक अलग युग की तैयारी' पर की बात, अमेरिका-चीन विवाद पर दिया बड़ा बयान

punjabkesari.in Wednesday, Oct 02, 2019 - 03:32 PM (IST)

वाशिंगटनः विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि अमेरिका और चीन के बीच मौजूदा विवाद के परिणाम का शेष दुनिया पर बड़ा असर पड़ेगा और इससे वैश्विक मामलों को ले कर नया रुख विकसित होगा। जयशंकर ने अमेरिकी थिंक टैंक ‘सेंटर फॉर स्ट्रैटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज' के एक कार्यक्रम में मंगलवार को कहा, ‘‘आज विश्व की राजनीति की मुख्य विशेषता वैश्विक अर्थव्यवस्था एवं राजनीति का पुनर्संतुलन और अमेरिका एवं चीन के बीच बढ़ता अंतर्विरोध है।'' 

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उन्होंने कहा, ‘‘दोनों शक्तियां विश्व के साथ जिस तरह का व्यवहार कर रही हैं वह अतीत के उनके व्यवहार से भिन्न है। उनके बीच मौजूदा विवाद के परिणाम, उनका व्यवहार शेष दुनिया को काफी प्रभावित करेगा। यह हमारी सोच बदल देगा और संभवत: समय के साथ वैश्विक मामलों के प्रति नया रुख विकसित होगा।'' जयशंकर ने आज के दौर को उतार-चढ़ाव भरा बताते हुए कहा कि यह कुछ ही साल पहले सुने गए वैश्वीकरण के सुकून देने वाले मंत्रों से एक दम अलग है। विदेश मंत्री ने ‘एक अलग युग की तैयारी' विषय पर आधारित संबोधन में कहा कि अधिक प्रतिस्पर्धी और अधिक जटिल युग की तैयारी के लिए अलग मानसिकता की आवश्यकता होगी।

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भारत जैसे देश के लिए यह वैश्विक शक्ति के अनुक्रम में उसके ऊपर चढ़ने के कारण हुए बदलावों के अलावा बदलाव होगा।'' जयशंकर ने मोदी 2.0 विदेश नीति की झलक देते हुए कहा कि भारत का व्यापक नजरिया लघुकाल की गणनाओं के बजाए दीर्घकालिक सोच को प्राथमिकता देने में प्रतिबिम्बित होगा। जयशंकर ने कहा, ‘‘यह गहरे संरचनात्मक परिवर्तनों और ऐसी महत्वाकांक्षी सामाजिक-आर्थिक पहलों को बढ़ावा देगा जो आदतों और दृष्टिकोण दोनों को बदल सकती हैं। मुश्किल समझी जाने वाली चुनौतियों को इस दुनिया में टालने के बजाए उनसे निपटना होगा।

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इसका उदाहरण भारत के जम्मू कश्मीर राज्य में हाल में हुए बदलाव हैं।'' भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को पांच अगस्त को निरस्त कर दिया था। जयशंकर ने कहा कि अधिक से अधिक शक्ति केंद्रों के साथ संबंध के लिए साझा बिंदू खोजना उच्च स्तर पर कूटनीति को तय करेगा। उन्होंने कहा, ‘‘यही वजह से भारत को वुहान में चीनी नेता के साथ, सोची में रूसी नेता के साथ वार्ता करना और फिर अमेरिका में विदेश एवं रक्षा मंत्रियों की '2+2' बैठक करना बिल्कुल सहज लगता है।''

 

जयशंकर ने कहा, ‘‘कई कारणों से अब खेल अब यह हो गया है कि आप खुद को कैसे पेश करते हैं और ज्यादा से ज्यादा हासिल करते हैं। वास्तविकता यह है कि या तो भारत हर संभव दिशा में पहुंचकर अपने लाभ को अधिकतम बनाए या किसी देश के साथ बातचीत से बचने की अधिक रक्षात्मक तकनीक अपनाए।'' उन्होंने कहा, ‘‘यह केवल बड़ी आकांक्षाओं की ही बात नहीं है, बल्कि यह अतीत में नहीं जीने की भी बात है। इस अत्यंत प्रतिस्पर्धी दुनिया में भारत का लक्ष्य रणनीतिक रूप से सबसे लाभकारी जगह की ओर बढ़ने का होना चाहिए।''


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Tanuja

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