कलेक्टर के दफ्तर में रखे सामान की कुर्की के आदेश, जानें क्यों आई नौबत

Saturday, Sep 23, 2017 - 11:17 PM (IST)

रायपुरः कोर्ट के आदेशों की नफरमानी करना छत्तीसगढ़ के जिला बिलासपुर कलेक्टर को महंगा पड़ गया। कोर्ट ने इस नफरमान कलेक्टर की गाड़ियां, एसी, फर्नीचर समेत उनके दफ्तर में रखे कीमती सामान की कुर्की के आदेश दिए हैं। इनकी नीलामी से मिलने वाली रकम भुवनेश्वर नाम के व्यक्ति को दी जाएगी। अदालत ने पीड़ित व्यक्ति को एक लाख पचास हजार रूपए का मुआवजा देने का फैसला दिया था लेकिन कई महीनों बाद भी कलक्टर ने अदालत के फैसले का पालन नहीं किया। अब कोर्ट ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए आदेश जारी किया है।

यह मामला मोटर व्हीकल एक्ट के तहत दावा छतिपूर्ति का था। बताया जा रहा है कि फरवरी 2003 में बिलासपुर के उसलापुर निवासी भुवनेश्वर प्रसाद अपने पारिवारिक काम से सकर्रा नामक गांव गए थे। रास्ते में उन्हें एक मैक्सी कैब ने टक्कर मार दी। इसमें वे बुरी तरह घायल हो गए। उनके परिजनों ने उनका इलाज बिलासपुर और नागपुर के अस्पतालों में कराया। इस पर उन्हें 50 हजार रूपए का खर्च आया।

भुवनेश्वर ने इस दुर्घटना के लिए अदालत में मोटर दुर्घटना एक्ट के तहत छतिपूर्ति देने के लिए दावा किया। इसमें राज्य शासन कि ओर से कलक्टर बिलासपुर को भी पक्षकार बनाया गया। दावे में सेवा में कमी और खस्ताहाल सड़को का हवाला भी दिया गया था। अब कोर्ट ने पीड़ित भुवनेश्वर के पक्ष में फैसला सुनाया।

कोर्ट ने भुवनेश्वर को 35 हजार का भुगतान करने के निर्देश दिए थे। यह भी कहा था कि 30 दिन के भीतर 6 फीसदी ब्याज के दर से फैसले की तारीख से 6 फीसदी ब्याज के साथ भुवनेश्वर को भुगतान किया जाए। कोर्ट ने यह भी कहा था कि निर्धारित तिथि में भुगतान ना करने की सूरत में नौ फीसदी ब्याज देना होगा। कलक्टर बिलासपुर ने कई महीनों तक ना तो पीड़ित को मुआवजा दिया और ना ही कोर्ट के नोटिस का कोई जवाब।

आखिरकार इसे कोर्ट की अवमानना बताते हुए भुवनेश्वर ने एक बार फिर अदालत का दरवाजा खटखटाया और मुआवजे की मांग की। इस पर कोर्ट ने ब्याज के साथ एक लाख पचास हजार रूपए की वसूली के लिए बिलासपुर कलेक्टर के दफ्तर में रखे सामानों और वाहनों की कुर्की के आदेश दे दिए।

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