आपदा में अवसरः मोदी ने कोरोना संकट को अवसर में बदला, पिछले साल के मुकाबले अधिक कार्यक्रमों में की शिरकत

Tuesday, Dec 08, 2020 - 08:52 PM (IST)

नई दिल्लीः कोरोना महामारी के दौर में भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सार्वजनिक कार्यक्रमों में कमी नहीं आई बल्कि उनमें पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत की वृद्धि ही हुई है। आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मोदी ने सितंबर से नवंबर महीने के दौरान प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए 101 सार्वजनिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। उन्होंने हर दिन औसतन एक से अधिक कार्यक्रम में भागीदारी की।

पिछले साल इसी अवधि के दौरान मोदी ने 78 घरेलू कार्यक्रमों में भाग लिया था। उसकी तुलना में मोदी ने इस साल 25 प्रतिशत अधिक कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। वर्ष 2020 के इन तीन महीनों में मोदी ने प्रौद्योगिकी का भरपूर इस्तेमाल किया और इसके जरिए समाज के सभी वर्गों से संवाद किया। उन्होंने ग्रामीण भारत से लेकर निवेशकों और युवाओं से लेकर मुख्य कार्यकारी अधिकारियों तक से संवाद स्थापित किया।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान उन्होंने ग्रामीण भारत में कई कार्यक्रमों का उद्घाटन और शिलान्यास किया वहीं अंतरराष्ट्रीय नेताओं के साथ डिजिटल माध्यम से विभिन्न सम्मेलनों में भागीदारी की। प्रधानमंत्री ने इस साल सितंबर से नवंबर के बीच 26 ऐसे कार्यक्रमों में हिस्सा लिया जिनमें कुछ परियोजनाओं का या तो उद्घाटन किया गया या फिर कुछ का शिलान्यास किया गया।

सूत्रों के मुताबिक इस दौरान प्रधानमंत्री के संवाद के मुख्य केंद्र में समाज के पिछड़े व शोषित वर्ग के लोगों की सहायता करना रहा। उन्होंने रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर प्रधानमंत्री आवास योजना के लाभार्थियों से संवाद कायम किया। इस अवधि में प्रधानमंत्री ने शिक्षा के क्षेत्र को भी भी प्राथमिकता दी। उन्होंने शिक्षा से जुड़े आठ कार्यक्रमों में हिस्सेदारी की और अन्य मुद्दों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर अपनी बात रखी। अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के चार कार्यक्रमों में भी प्रधानमंत्री ने अपनी भागीदारी सुनिश्चित की। उन्होंने कोरोना महामारी के सिलसिले में सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ दो बैठकें भी कीं।

प्रधानमंत्री ने इस दौरान वीडियो कॉन्फ्रेंस व अन्य डिजिटल माध्यमों से 10 अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों में हिस्सा लिया। इनमें जी-20, आसियान-भारत शिखर सम्मेलन, ब्रिक्स देशों का सम्मेलन शामिल है। उन्होंने इटली, लक्जमबर्ग, श्रीलंका और डेनमार्क के साथ भी सम्मेलनों में हिस्सा लिया। सूत्रों के मुताबिक मोदी ने किसी-किसी दिन तो कई कार्यक्रमों में भाग लिया। जिस दिन उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह को संबोधित किया, उसी दिन उन्होंने बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के वार्षिक ग्रैंड चैलेंज कार्यक्रम में भी शिरकत किया।

इसी प्रकार जिस दिन उन्होंने उत्तर प्रदेश के स्वनिधि योजना के लाभार्थियों से संवाद किया, उसी दिन उन्होंने केंद्रीय जांच ब्यूरो की ओर से आयोजित सतर्कता और भ्रष्टाचार निरोधी राष्ट्रीय सम्मेलन में भी हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री ने एक ही दिन आसियान-भारत सम्मेलन और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में स्वामी विवेकानंद की आदमकद प्रतिमा के अनावरण के मौके पर छात्रों को संबोधित किया। जिस दिन उन्होंने उत्तर प्रदेश में ‘‘हर घर जल योजना'' की शुरुआत की, उसी दिन उन्होंने जी-20 शिखर सम्मेलन को भी संबोधित किया।

एक अधिकारी ने बताया, ‘‘सामान्य तौर पर प्रधानमंत्री का कार्यक्रम बहुत व्यस्त रहता है लेकिन महामारी के काल में भी उनके कार्यक्रमों में वृद्धि होना महत्वपूर्ण है।'' अधिकारियों ने बताया कि सार्वजनिक कार्यक्रमों के अलावा भी प्रधानमंत्री की आंतरिक बैठकों में भी इजाफा हुआ है। विभिन्न परियोजनाओं और सुधार से जुड़े कार्यक्रमों की उन्होंने इन बैठकों में समीक्षा की।

अधिकारी ने बताया कि चूंकि अधिकांश बैठकें वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से होती हैं तो इससे सभी के लिए समय की भी बचत होती है। इसकी वजह से उत्पादकता में भी वृद्धि हुई। उन्होंने कहा कि मोदी की आंतरिक बैठकों में भी 50 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। मोदी ने इस दौरान राज्यपालों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अधिकारियों के साथ भी संवाद किया और विभिन्न चक्रवातों से राहत व बचाव कार्य कार्यों की समीक्षा की। भारत में कोविड-19 के टीके को लेकर उन्होंने वैज्ञानिकों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ भी संवाद किया।

 

Yaspal

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