'Operation Sindoor' ने दिलाई 1971 की याद! IAF के पूर्व अधिकारी ने बताया- कैसे बदला युद्ध का खेल
punjabkesari.in Monday, May 19, 2025 - 03:33 PM (IST)

नेशनल डेस्क। भारतीय वायु सेना (IAF) के एक पूर्व अधिकारी ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में IAF की मिसाइलों द्वारा पाकिस्तान वायु सेना (PAF) के नूर खान बेस पर सटीक हमले की खबर सुनने के बाद 4 दिसंबर 1971 की सुबह को याद किया। उन्होंने बताया कि उस समय IAF स्क्वाड्रन के साथ काम करते हुए उन्होंने दो लड़ाकू-बमवर्षकों के एक सेक्शन का नेतृत्व किया था जिसने उसी लक्ष्य पर हमला किया था जिसे तब PAF का चकलाला बेस कहा जाता था। रावलपिंडी में पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय से कुछ ही मील उत्तर-पूर्व में स्थित यह बेस कड़ी सुरक्षा वाला था लेकिन वे और उनके विंगमैन जमीन पर खड़े कुछ परिवहन विमानों पर हमला करने के बाद सुरक्षित लौट आए थे।
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54 वर्षों के अंतराल पर पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में भारत द्वारा 7 मई 2025 को शुरू किया गया 'ऑपरेशन सिंदूर' और 1971 का भारत-पाकिस्तान युद्ध दो बिल्कुल अलग घटनाएं हैं। इनके संदर्भ, उद्देश्य और पैमाने में जमीन-आसमान का अंतर है। हालांकि इन दो संघर्षों की एक संक्षिप्त तुलना आम पाठकों को यह समझने में मददगार हो सकती है कि इन दो युद्धों के बीच आधी सदी के दौरान युद्ध की प्रकृति में कितना मौलिक बदलाव आया है।
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1971 में युद्ध शुरू होने का तात्कालिक कारण 3 दिसंबर 1971 की शाम को उत्तर भारत में 12 भारतीय वायु सेना (IAF) के ठिकानों पर 100 से अधिक पाकिस्तानी वायु सेना (PAF) के लड़ाकू विमानों द्वारा किया गया अचानक हमला था। इसके बाद PAF के बमवर्षकों ने रात में भी व्यापक हमले किए। इस दुस्साहस के जवाब में आधी रात तक भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद IAF ने एक शक्तिशाली जवाबी हवाई हमला किया और यही तब और अब के बीच पहला बड़ा अंतर दर्शाता है। 1971 में जहां पाकिस्तान ने पहले हवाई हमला किया था वहीं 2025 के 'ऑपरेशन सिंदूर' में भारत ने पहलगाम में हुए आतंकी हमले के जवाब में सटीक और लक्षित कार्रवाई की। यह दिखाता है कि युद्ध की रणनीति और प्रतिक्रिया देने का तरीका समय के साथ कितना बदल गया है। अब युद्ध सिर्फ सैन्य ठिकानों पर आमने-सामने की लड़ाई तक सीमित नहीं रह गया है बल्कि यह सटीक हमलों और खुफिया जानकारी पर आधारित हो गया है।