कश्मीर में सेना का ऑपरेशन ऑलआउट : 12 कमांडरों में से 10 ढेर , केवल 2 बचे

Tuesday, Jan 15, 2019 - 11:02 AM (IST)

श्रीनगर (मजीद) : कश्मीर घाटी में आतंक की जड़ों को मज़बूत होते और इनकी तादाद बढ़ते देख सुरक्षाबलों ने एक नई रणनीति अपनाई। यह फैसला किया गया कि आतंकियों की बढ़ती तादाद को रोकने के लिए इनकी लीडरशिप को खत्म करना होगा ताकि  बाकी आतंकियों का मनोबल टूट जाए। आतंकियों की संख्या चुनौती नहीं रखती। बल्कि इनके लीडर महत्व रखते हैं।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हालांकि सक्रिय आतंकियों की संख्या 250 के आसपास है, लेकिन संख्या मायने नहीं रखती है। ऐसे में कमांडरों का खात्मा हमारे लिए बड़ी सफलता है। एक कमांडर से हम 100 नए युवाओं को आतंकी बनने से रोक पाते हैं और इन कमांडरों का अनुभव हर आतंकी घटना का कारण होता है।
2017 जून के महीने में सुरक्षाबलों ने एक उच्च स्तरीय बैठक में कश्मीर के टॉप आतंकियों की एक लिस्ट तैयार की। इसमें 12 आतंकी कमांडरों का नाम जारी किया गया। इनमें से अब केवल दो ही जीवित हैं।

जुनैद मट्टू 
दक्षिणी कश्मीर में कुलगाम जिला के खुड़वानी का रहने वाला जुनैद 18 साल की उम्र में आतंकियों में शामिल हो गया था। मट्टू को दिसंबर 2016 में कुलगाम जिले का लश्कर प्रमुख नियुक्त किया गया था। जुनेद को 16 जूनए 2017 को दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले के बिजबेहरा के अरवानी क्षेत्र में सुरक्षबलों के साथ मुठभेड़ में मार डाला गया था।

बशीर अहमद वानी उर्फ  लश्करी
बशीर लश्कर, सबसे पुराने जीवित आतंकियों में से एक था, 1999 में आतंकवाद में शामिल हो गया थाए हालांकि उसे कई बार गिरफ्तार किया गया थाए आखरी बार वह 2015 में आतंकवाद में शामिल हो गया। बशीर को 1 जुलाई 2017 को सुरक्षाबलों द्वारा उस वक्त मार दिया गया जब सुरक्षाबलों ने दक्षिण कश्मीर के अनंतनाग जिले में दिलगाम के ब्रेन्ती इलाके में एक घर के आसपास घेराबंदी की थी और दो दिनों तक मुठभेड़ चली थी।

 

वसीम शाह उर्फ  वसीम मल्ला 
दक्षिण कश्मीर में सुरक्षाबलों पर विभिन्न हमलों में शामिल रहा था। हेफ शेरमल शोपियां का रहने वाले वसीम अहमद शाह को 13 अक्टूबर 2017 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के लित्तर इलाके में मुठभेड़ में मारा गया।


अबू दुजाना
दुजाना एक पाकिस्तानी आतंकी था, जो कई सालों तक दक्षिण कश्मीर में लश्कर का ऑपरेटिव चीफ  था। दुजाना को कॉर्डन ब्रेकर के रूप में जाना जाता थाए जो 1 अगस्त 2017 को दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के हकरीपोरा इलाके में एक मुठभेड़ में अपने सहयोगी आरिफ लेलहारी के साथ मारा गया था।

अबू हमास
पाकिस्तान का निवासी, हमास 2016 से सक्रिय था और ए़़ कैटगरी का आतंकी था। हमास यूबीजीएल दागने में माहिर था और दर्जनों सुरक्षा कम्पों पर हमले कर चुका था। जब उसे 17 मार्च 2018 को खानमोह में एक मुठभेड़ में मारा गया, वह जैश का डिवीजनल कमांडर था, लेकिन हिज्बुल मुजाहिदीन से जाकिर के विभाजन के तुरंत बाद जाकिर मूसा के साथ उसने हाथ मिला लिया था।

 

सद्दाम पद्दर

शोपियां जिले के हेफ क्षेत्र के एक सेब व्यापारी के बेटे, सद्दाम ने आतंकवादी बनने से कुछ साल पहले स्कूल छोड़ दिया था। वह 6 मई, 2018 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के बडगाम इलाके में मुठभेड़ में मारा गया था।


शोकात अहमद टाक
कम-प्रोफ़ाइल वाला यह आतंकवादी पाकिस्तान के लिए घाटी में एक बड़ा संपर्क था। वह 05 मई 2018 को श्रीनगर के छत्ताबल इलाके में फोर्सेस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।

मोहम्मद यासीन इतु 

ए़़ श्रेणी हिज्ब का यह आतंकी सितंबर 1996 में  सीमा पार हथियारों के प्रशिक्षण के लेने के लिए रवाना हुआ था। एक साल बाद घाटी लौटा था। इतु हिज़्बुल की रीढ़ की हड्डी माना जाता था। 14 अगस्त 2017 को दक्षिण कश्मीर के शोपियां जिले के अवनेरा इलाके में एक मुठभेड़ में यह मारा गया था।

अल्ताफ अहमद कचरू 
37 साल का यह आतंकी कश्मीर घाटी में हिज्ब उल मुजाहिदीन के सबसे पुराने ऑपरेटिव कमांडरों में से एक था। डार दक्षिण कश्मीर में हिज्बुल के टॉप आतंकवादियों में से एक था और ए प्लस प्लस श्रेणी के आतंकी था। उसके सिर पर 12.5 लाख का इनाम था, वह 29 अगस्त 2018 को अनंतनाग जिले में एक मुठभेड़ में मारा गया।

जीनत-उल-इस्लाम
शगुन शोपियां के निवासी की उम्र 28 साल की थी। वह सबसे पुराने आतंकवादी और अल्बद्र का चीफ  कमांडर था। कोडन को तोडऩे में मास्टरमाइंड था। 2006 में आतंकवाद में शामिल हुआ। वह ए प्लस प्लस श्रेणी में था  और उस पर 12 लाख इनाम था, जीनत 2006 में आतंकी बना और अल्बद्र में शामिल हुआ फिर उसे गिरफ्तार किया गया। 2015 के आखिर में ज़ीनत ने हिज़्ब ज्वाइन किया और बुरहान की मौत के कुछ महीनों बाद लश्कर से मिला गया मगर 2018 अक्टूबर में वह फिर अल्बद्र में शामिल हो गया। जीनत को सुरक्षबलों ने 12 जनवरी 2019 को दक्षिणी कश्मीर के कुलगाम के रथपुरा गावों में एक मुठभेड़ के दौरान ढेर कर दिया।

इन कमांडरों के इलावा कई और शातिर आतंकी ऑपरेशन ऑल आउट के अंदर ढेर किए गए। इनमें मनान वानी, नवीद जट्ट, दावूद सोफी, अली भाई और उमर मजीद गानी शामिल है। यह सभी सुरक्षाबलों के लिस्ट में ए प्लस प्लस कैटगरी में थे। अब घाटी में आतंकवादी कमांडरों की संख्या ना के बराबर है। केवल दो ही आतंकी कमांडर जीवित बचे हैं। हिज्ब का चीफ  ऑपरेशनल कमांडर रियाज नाइकू और अंसार-उल-गज़्वातुल हिन्द का चीफ  जाकिर मूसा। ये दोनों सुरक्षाबलों की लिस्ट में ऐ ट्रिपल प्लस कैटगरी में हैं और इन पर 12.5 लाख का इनाम है।


घाटी में भले ही अब भी आतंकियों की संख्या 250 के आसपास हो मगर इन्हे चलाने वाले चेहरे और दिमाग खत्म हो चुके हंै, जो एक बड़ी सफलता है। एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक संख्या कितनी भी हो मगर महत्व रखती है रणनीति जो आतंकियों के पास खत्म हो चुकी है और यही कारण है कि पिछले 6 महीने से नए आतंकियों का बनना लगभग बंद हो गया है। यही माहौल रहा तो बहुत जल्द सक्रिय आतंकियों  संख्या 100 से नीचे होगी। इस अधिकारी के मुताबिक अब सुरक्षाबलों का सारा ध्यान रियाज़ नाइकू पर है।

Monika Jamwal

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