यह है कारगिल का एकमात्र हिन्दू परिवार, मुस्लिम भाईयों संग मनाता है त्यौहार

Monday, Oct 01, 2018 - 03:10 PM (IST)

कारगिल: कारगिल युद्ध के बारे में तो पूरा विश्व जानता है। सअ जनते हैं कि किस तरह से भारतीय जांबाज सैनिकों ने पाकिस्तान के हौस्ले पस्त कर कारगिल फतह किया था। अब हमको एक और रोचक बात बताने जा रहे हैं और यह बात यहां के एक मात्र हिन्दू परिवार की है। पिछले बीस वर्षों से यहां पर यह परिवार मुस्लिम भाईयों संग शांति से जीवन बिता रहा है। रविन्द्र नाथ और उनकी पत्नी मधु एलओसी से मात्र दो सौ मीटर दूर पर होलसेल की दुकान चलाते हैं। वह दो दशकों से कारगिल के पौने दो लाख परिवारों में से इकलौता हिन्दू परिवार है क्योंकि बाकी के परिवारों ने यहां से पलायन कर दिया था।


रविन्द्र के अनुसार वे पिछले 45 वर्षों से यहां पर रह रहे हैं। कई परिवार बड़े शहरों की और जा चुके हैं पर वे लोग नहीं गये। मधु कहती है कि यह उनका अपना घर और अपना क्षेत्र है। एलओसी है तो क्या, वे यहां पर सुरक्षित हैं। उनके अनुसार कारगिल युद्ध के दौरान थोड़ा तनाव था पर मुस्लिम, हिन्दू, सिख और बौद्ध परिवार यहां मिलकर रहते हैं। उनके अनुसार दिवाली पर मुस्लिम परिवार घर सजाते हैं और मिलकर त्यौहार मनाते हैं।


कारगिल में है सिख-मुस्लिम जोड़ा
कारगिल में प्रेम की सीमा नहीं है। इस बात को साबित करता है यहां का एकमात्र इंटर रिलिजन जोड़ा। यहां पर तीन सिख परिवार रहते हैं। उन्होंने गुरूद्वारा भी बनाया है और उसकी दीवार हनफिया अहल-ए-सुन्नत मसिजद के सटी हुई है जो मुस्लिमों ने बनवाई है। जसविंदर सिंह और खातिजा बानों ने 1996 में निकाह किया था। परिवार की राजमंदी न होते हुये भी दोनों ने शादी की और अब खुशी से रह रहे हैं।


जसविंदर बन गया जुनैद
प्यार की खातिर दुनियादारी की परवाह किये गये बगैर जसविंदर सिंह ने इस्लाम कबूल कर लिया। उन्होंने बताया कि खातिजा पानी लेने गुरूद्वारे आती थी और दोनों को प्यार हो गया। शादी के लिए उन्होंने खातिजा का धर्म भी अपना लिया। वह अपने मां और परिवार के लिए आज भी जसविंदर है पर बाकी लोगों के लिए जुनैद हो गया। दोनों जम्मू कश्मीर के शिक्षा विभाग में कार्यरत हैं।
 

Monika Jamwal

Advertising