डार्क पैटर्न की चाल में फंस रहे ऑनलाइन यूजर्स, जानिए कौन-कौन से सेक्टर सबसे ज्यादा हो रहे प्रभावित

punjabkesari.in Thursday, May 29, 2025 - 04:30 PM (IST)

नेशलन डेस्क: आज के डिजिटल युग में हम सोशल मीडिया और कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर दिन भर सक्रिय रहते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि इन प्लेटफॉर्म्स पर यूजर्स को झांसा देने के लिए डार्क पैटर्न नाम के ट्रिक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है? हाल ही में एक सर्वे में यह सामने आया है कि यह डार्क पैटर्न हर सेक्टर में तेजी से बढ़ रहा है और यूजर्स को धोखा देने में कोई कमी नहीं आ रही। आइए इस खबर में विस्तार से समझते हैं कि डार्क पैटर्न क्या होता है, कौन-कौन से प्लेटफॉर्म इसे इस्तेमाल कर रहे हैं और यूजर्स को इससे कैसे बचना चाहिए।

डार्क पैटर्न क्या होता है?

डार्क पैटर्न वे डिज़ाइन और रणनीतियाँ होती हैं, जो यूजर्स को अनजाने में या दबाव में लाकर ऐसे फैसले लेने पर मजबूर कर देती हैं, जो वे सचमुच नहीं लेना चाहते। उदाहरण के लिए, ऐप में ऐसी सेटिंग्स या विकल्प छुपा दिए जाते हैं, जिससे आप अनचाही सदस्यता (सब्सक्रिप्शन), छुपे हुए चार्ज, या अनचाहे ऐप डाउनलोड के जाल में फंस जाते हैं। ये पैटर्न यूजर्स को फंसा कर उनकी सहमति बिना पूरी जानकारी के ले लेते हैं।

कौन-कौन से सेक्टर में हो रहा है डार्क पैटर्न का इस्तेमाल?

सर्वे एजेंसी LocalCircles ने करीब 2.3 लाख यूजर्स से बात की और पाया कि कई सेक्टर्स में डार्क पैटर्न का इस्तेमाल हो रहा है:

  • ट्रैवल और एयरलाइंस: टिकट बुकिंग के दौरान हिडन चार्ज और अनचाही सब्सक्रिप्शन

  • ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स: फोर्स्ड एक्शन और इंटरफेस इंटरफेरेंस

  • ऑनलाइन बैंकिंग और पेमेंट प्लेटफॉर्म्स: पर्सनल डिटेल लेने का दबाव

  • ओटीटी प्लेटफॉर्म्स (मूवी/टीवी स्ट्रीमिंग): सब्सक्रिप्शन ट्रैप

  • टैक्सी ऐप्स और फूड डिलीवरी: लगातार कन्फर्मेशन और लालच के जरिए धोखा

  • एडटेक, मेडिसिन और हेल्थ सर्विसेज

  • ऑनलाइन गेमिंग, डिजिटल लेंडिंग, बीमा, भर्ती और प्रोफेशनल नेटवर्किंग

यह रिपोर्ट 228 भारतीय प्लेटफॉर्म्स पर आधारित है, जहां यूजर्स ने डार्क पैटर्न के इस्तेमाल की जानकारी दी है।

डार्क पैटर्न के प्रमुख प्रकार और उनके असर

  1. फोर्स्ड एक्शन (Forced Action)
    लगभग 54% प्लेटफॉर्म इस पैटर्न का उपयोग करते हैं, जहां यूजर को बिना किसी विकल्प के कोई कदम उठाना पड़ता है, जैसे ऐप डाउनलोड करना या निजी जानकारी देना।

  2. ड्रिप प्राइसिंग (Drip Pricing)
    48% प्लेटफॉर्म इस तकनीक से लेन-देन के आखिरी स्टेप पर हिडन चार्ज जोड़ देते हैं, जिससे यूजर को ज्यादा पैसा देना पड़ता है।

  3. लालच देकर धोखा (Deceptive Incentives)
    33% प्लेटफॉर्म यूजर्स को आकर्षक ऑफर्स देकर फंसाते हैं, लेकिन असल में इसके पीछे छुपा नुकसान होता है।

  4. सब्सक्रिप्शन ट्रैप (Subscription Trap)
    34% प्लेटफॉर्म यूजर को बिना पूरी जानकारी के सदस्यता में फंसा लेते हैं, जिससे वे अनचाहे खर्चों का शिकार हो जाते हैं।

  5. इंटरफेस इंटरफेरेंस (Interface Interference)
    25% प्लेटफॉर्म यूजर्स को भ्रमित करने के लिए ऐप के इंटरफेस में बदलाव करते हैं ताकि यूजर गलत विकल्प चुनें।

  6. कन्फर्म शेमिंग (Confirm Shaming)
    22% प्लेटफॉर्म यूजर को गलत विकल्प चुनने के लिए गुस्सा या शर्मिंदगी महसूस करवाते हैं, जिससे वे जल्दी हां कर देते हैं।

रेगुलेटर्स की गाइडलाइंस के बावजूद क्यों नहीं रुक रहा डार्क पैटर्न?

स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई रेगुलेटर और सरकारी एजेंसियां डार्क पैटर्न के खिलाफ कड़े नियम बना चुकी हैं, फिर भी इस प्रथा में कोई कमी नहीं आई है। ऐसा इसलिए क्योंकि:

  • कई प्लेटफॉर्म गाइडलाइंस का केवल दिखावा करते हैं, असल में उनका पालन नहीं करते।

  • यूजर्स को झांसा देने के नए-नए तरीके अपनाए जा रहे हैं।

  • डिजिटल दुनिया में निगरानी और दंड की सीमित व्यवस्था है।

इसका नतीजा यह होता है कि यूजर्स बार-बार धोखे का शिकार होते हैं और उनके साथ गैरकानूनी व्यवहार जारी रहता है।

यूजर्स को कैसे बचना चाहिए?

  1. ध्यान से पढ़ें और समझें
    कोई भी ऑफर या सदस्यता लेने से पहले उसकी पूरी जानकारी ध्यान से पढ़ें।

  2. एक्शन लेते समय सावधानी बरतें
    किसी भी ऐप या वेबसाइट पर पर्सनल डिटेल या पेमेंट जानकारी देने से पहले उसके वैधता और सुरक्षा को जांचें।

  3. हिडन चार्जेज पर नजर रखें
    चेकआउट के आखिरी स्टेप में अतिरिक्त चार्ज दिखे तो तुरंत डिस्काउंट या ग्राहक सेवा से संपर्क करें।

  4. रिव्यू और रेटिंग देखें
    किसी भी नए प्लेटफॉर्म का उपयोग करने से पहले यूजर्स के रिव्यू जरूर पढ़ें।

  5. अपने अधिकारों के बारे में जानें
    कंज्यूमर प्रोटेक्शन कानूनों और डिजिटल राइट्स के बारे में जानकारी रखें।


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Content Editor

Ashutosh Chaubey

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