गलवान संघर्ष  को एक साल: चीन से लंबी लड़ाई के लिए भारत ने कई गुना बढ़ाई अपनी ताकत

Tuesday, Jun 15, 2021 - 08:39 AM (IST)

नेशनल डेस्क:  पूर्वी लद्दाख में गलवान घाटी में भारत और चीन की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प के एक साल बाद दोनों पक्षों के बीच विश्वास बहाल नहीं होने के बावजूद भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर किसी भी प्रतिकूल स्थिति से निपटने के लिए बेहतर तरीके से तैयार है। रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों ने सोमवार यह जानकारी दी ।

 

जानिए भारत-चीन के लिए क्यों महत्वपूर्ण है गलवान घाटी

  • गलवान घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चिन में है
  • यह लद्दाख और अक्साई चिन के बीच भारत-चीन सीमा के नज़दीक स्थित है
  • यहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) अक्साई चिन को भारत से अलग करती है.
  • अक्साई चिन पर भारत और चीन दोनों अपना दावा करते हैं
  • यह घाटी चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है
  • ये क्षेत्र भारत के लिए सामरिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण हैं
  •  ये पाकिस्तान, चीन के शिनजियांग और लद्दाख की सीमा के साथ लगा हुआ है.
  • 1962 की जंग के दौरान भी गालवन नदी का यह क्षेत्र जंग का प्रमुख केंद्र रहा था
  • यहां जून की गर्मी में भी तापमान शून्य डिग्री से कम होता है। 
  • गलवान नदी का नाम गुलाम रसूल गलवान के नाम पर पड़ा था। 

 गलवान घाटी में भारत के 20 सैनिक हुए थे  शहीद 
रक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े लोगों ने बताया कि गलवान घाटी प्रकरण ने भारतीय सुरक्षा क्षेत्र के योजनाकारों को चीन से निपटने में देश का रुख तय करने के साथ ही छोटी अवधि में और दूरगामी खतरे का आकलन करते हुए रणनीति तैयार करने में मदद मिली। पिछले करीब पांच दशकों में सीमाई क्षेत्र में सबसे घातक झड़प में पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में भारत के 20 सैनिकों शहीद हो गए थे, जिसके बाद दोनों सेनाओं ने टकराव वाले कई स्थानों पर बड़े पैमाने पर जवानों और हथियार समेत साजो-सामान की तैनाती कर दी।


झड़प में मारे गए थे ​चीनी सैन्य अधिकारी 
इस साल फरवरी में चीन ने आधिकारिक तौर पर स्वीकार किया कि भारतीय सैन्यकर्मियों के साथ झड़प में पांच चीनी सैन्य अधिकारी और जवान मारे गए थे, जबकि माना जाता है कि चीनी पक्ष में मृतकों की संख्या इससे ज्यादा थी। एक अधिकारी ने बताया कि सैन्य रूप से हम इस बार बेहतर तरीके से तैयार हैं। गलवान घाटी की झड़प के बाद हमें उत्तरी सीमा पर राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर अपने दृष्टिकोण को प्राथमिकता में रखने का मौका मिला। यह पता चला है कि चीन ने भी ऊंचाई वाले क्षेत्र के कई इलाकों में अपनी मौजूदगी बढ़ा ली है।


​सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर बातचीत जारी 
सूत्रों ने कहा कि झड़प के बाद सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल और एकजुटता भी बढ़ी है। उन्होंने एलएसी पर समग्र चुनौतियों से निपटने के लिए भारतीय थल सेना और भारतीय वायु सेना के एकीकृत रुख का भी हवाला दिया। एक अधिकारी ने कहा कि इस झड़प के बाद थल सेना और वायु सेना के बीच तालमेल और बेहतर हो गया। सूत्रों ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच अब भी विश्वास बहाल नहीं हो पाया है और भारत पूर्वी लद्दाख और अन्य क्षेत्रों में एलएसी के पास किसी भी स्थिति से निपटने को तैयार है। सैन्य और राजनयिक स्तर पर कई दौर की बातचीत के बाद दोनों सेनाओं ने फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी तट से सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली। टकराव के बाकी स्थानों से भी सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पर बातचीत चल रही है।
 

vasudha

Advertising