भाजपा में एक बार फिर ‘ओल्ड इज गोल्ड’

Saturday, Nov 04, 2017 - 11:46 PM (IST)

नई दिल्ली: भाजपा में 75 वर्ष से अधिक आयु के पार्टी के वयोवृद्ध नेताओं को राजनीति से  दरकिनार करने के बाद या उनमें से कुछ को राज्यपाल बनाने के उपरांत अब भाजपा में उनके बारे में फिर से सोचने की नीति पर विचार किया जा रहा है। 


प्रेम कुमार धूमल को हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने के बाद भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कर्नाटक में भी उम्र पर सीमा की पाबंदी को हटा दिया है। धूमल अगले अप्रैल में 74 वर्ष के हो जाएंगे। अमित शाह ने गत दिनों ‘नव कर्नाटक परिवर्तन यात्रा’ को हरी झंडी दिखाने और बी.एस. येद्दियुरप्पा द्वारा राज्य में पार्टी का नेतृत्व करने की घोषणा की। रोचक बात यह है कि येद्दियुरप्पा अगले वर्ष जनवरी में 75 वर्ष के हो जाएंगे और विधानसभा के चुनाव मई, 2018 में होंगे। पार्टी के इन 2 प्रमुख वयोवृद्ध नेताओं को उनके अपने-अपने राज्यों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किए जाने से पार्टी की नीति में फिर से समीक्षा होने जा रही है जो प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा नेतृत्व की घोषित नीति के एकदम उलट है। 


हाल ही में गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को 75 वर्ष की होने के बाद उनको पद से हटा दिया गया था। यहां तक कि मध्य प्रदेश में बाबू लाल गौर को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया था। नए घटनाक्रम से एल.के. अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार, करिया मुंडा, सी.पी. ठाकुर और अन्य कई वयोवृद्ध पार्टी नेताओं की उम्मीदें फिर से जागृत हो उठी हैं। नजमा हेपतुल्ला और कलराज मिश्र को भी 75 वर्ष का होने के बाद कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था। अब नई नीति के तहत इन सभी नेताओं की फिर से राजनीति में सक्रिय होने की उम्मीद बढ़ गई है।

Advertising