दिल्ली में पटाखा बिक्री बैनः चेतन भगत ने कहा- मुहर्रम-बकरीद पर बैन लगाने की हिम्मत क्यों नहीं?
Tuesday, Oct 10, 2017 - 12:46 AM (IST)
नई दिल्लीः दीवाली पर दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की बिक्री पर सुप्रीम कोर्ट के रोक लगाने के फैसले का कुछ लोगों ने स्वागत किया है तो कईयों को इससे खासी निराशा हुई है। कोर्ट के इस फैसले पर लेखक चेतन भगत ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने फैसले पर असहमति जताते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए।
चेतन भगत का मानना है कि पटाखों की बिक्री पर बैन लगाना गैर-जरूरी है। उन्होंने सवाल किया कि किस आधार पर किसी की परंपराओं पर बैन लगाया जा रहा है?
चेतन भगत ने एक ट्वीट में लिखा, "बिना पटाखों के बच्चों के लिए दिवाली का क्या मतलब है?" उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का बैन परंपराओं पर चोट है। उन्होंने कहा कि बैन की जगह रेगुलेशन बेहतर विकल्प हो सकता था।
SC bans fireworks on Diwali? A full ban? What’s Diwali for children without crackers?
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
इस दौरान लेखक चेतन भगत ने दिल्ली-एनसीआर की खराब आबो-हवा सुधारने के लिए एक हफ्ते के लिए बिजली और कारों का इस्तेमाल नहीं करने का भी सुझाव दिया।
Banning crackers on Diwali is like banning Christmas trees on Christmas and goats on Bakr-Eid. Regulate. Don’t ban. Respect traditions.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
भगत ने आगे कहा कि केवल हिंदुओं के त्योहार पर बैन क्यों लगाने की हिम्मत क्यों दिखाई जाती है? क्या जल्द ही बकरियों की बलि और मुहर्रम के खूनखराबे पर भी रोक लगेगी? जो लोग दिवाली जैसे त्योहारों में सुधार लाना चाहते हैं, मैं उनमें यही शिद्दत खून-खराबे से भरे त्योहारों को सुधारने के लिए भी देखना चाहता हूं।
I want to see people who fight to remove crackers for Diwali show the same passion in reforming other festivals full of blood and gore.
— Chetan Bhagat (@chetan_bhagat) October 9, 2017
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले कहा है कि पटाखों की बिक्री 1 नवंबर, 2017 से दोबारा शुरू हो सकेगी। इसके पीछे कोर्ट इसकी पड़ताल करना चाहता है कि पटाखों के कारण प्रदूषण पर कितना असर पड़ता है।