कोरोना के डर को भगाएगा ॐ नाद, ओम ध्वनि से दूर होता है तनाव और डिप्रेशन

Monday, Aug 17, 2020 - 01:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क: संपूर्ण ब्रह्माण्ड में ओम की ध्वनि व्याप्त है। ओम की इस ध्वनि से तंरगों से मस्तिष्क में जो कंपन होता है उससे डर खौफ मिट जाता है। योग गुरू गुलशन कुमार ने कहा कि अनादिकाल से ब्रह्माण्ड में अनहद नाद गूंज रहा है। महर्षि पंतजलि कहते है कि ‘तस्य वाचक: प्रणव' अर्थात् परमात्मा का नाम प्रणव है। प्रणव यानि ॐ। ओम के उच्चारण से उत्पन्न होने वाली तंरगे हमारी हार्मोन बनाने वाली ग्रंथियों पर पॉजिटिव प्रभाव देती हैं। ओम एक नैसर्गिक ध्वनि है जिसका शांत भाव के साथ धीमा उच्चारण करने से मस्तिष्क की जो कोशिकाएं सुषुप्त (fast asleep) पड़ है वो जागृत हो जाती हैं।

योग गुरू ने कहा कि कंठ से उत्पन्न होने वाली इस ध्वनि का सीधा प्रभाव हमारे सेन्ट्रल ब्रेन पर पड़ता है, क्योंकि मनुष्य कोरोना के डर व खौफ मे जी रहा है, और इस खौफ को मनुष्य ने अंगीकार कर लिया है और अपनी योगमय जीवन शैली एवं अध्यात्म की विराट शक्ति को भुला बैठा है। इस खौफ से उत्पन्न हो रहा तनाव में कही गुस्सा है, क्रोध है जिसके कारण पिट्यूटरी ग्रंथि (Pituitary gland) से उत्पन्न होने वाला हार्मोन हमारी किडनी के ऊपर स्थित एड्रीनल ग्रंथियों (Adrenal glands) की क्रियाशीलता को बढ़ा रहा है जिसके कारण एड्रीनलीन हार्मोन का स्राव बढ़ने लगता है जिसका सबसे ज्यादा असर मूत्राशय पर पड़ता है जिसके कारण केवल खौफ व डर के कारण मनुष्य को बार-बार पेशाब अधिक आता है।

इस हार्मोन के कारण रक्तचाप भी बढ़ जाता है, हाथ-पैरों मे रक्त संचार बढ़ जाता है, पसीना उत्पन्न होने लगता है, मांस पेशियों में तनाव व उसकी क्रियाशीलता बढ़ने लगती है। जिसके कारण व्यक्ति में घबराहट, डर, संदेह बढ़ने से तबीयत खराब होती चली जाती है। ऐसे में पेशाब ज्यादा आता है रोगी ने पहले से सुना होता है कि मधुमेह वालों को पेशाब बार-बार आता है। ऐसे में वह अपने को शुगर का मरीज समझकर इधर-उधर चिकित्सकों के चक्कर काटने लगता है। जबकि ज्यादातर शुगर नार्मल आती है। उन्होंने कहा कि जब भी कोई शांत मन से धीमी आवाज के साथ का उच्चारण करता है तभी ओम की भीतर से उत्पन्न होने वाली ध्वनि का प्रभाव मस्तिष्क की पिट्यूटरी ग्रंथि पर सकारात्मक रूप में पड़ता है। 

Seema Sharma

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