भारत को चौतरफा घेरने का प्लानः चीन व नेपाल सीमा विवाद के बीच इस्लामिक देशों ने खेला "डर्टी गेम"
punjabkesari.in Tuesday, Jun 23, 2020 - 11:03 AM (IST)
इंटरनेशनल डेस्कः भारत के खिलाफ चीन को दोगला चेहरा अब खुलकर सामने आ गया है। गलवान घाटी पर चीनी सैनिको की हिंसक झड़प, नेपाल का नक्शा विवाद के बाद अब पाकिस्तान को मोहरा बना कर ड्रेगन का भारत को चौरतरफा घेरने का मंसूबा सामने आया है। काफी समय से पाकिस्तान की मांग पर इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC) ने आखिर जम्मू कश्मीर पर आपातकालीन बैठक बुला ही ली। इस बैठक को चीन की साजिशका हिस्सा ही करार दिया जा रहा है ताकि भारत पर चौतरफा दबाव बनाकर वह अपने हितों को पूरा कर सके। इस्लामिक संगठन की यह बैठक कॉन्टैक्ट ग्रुप की है जिसे OIC ने जम्मू-कश्मीर के लिए 1994 में बनाया था। इस बैठक की मांग पाकिस्तान लंबे समय से कर रहा था। जब भारत चीन, नेपाल और पाकिस्तान के साथ कई तरह के विवादों का सामना कर रहा है, ऐसे में ओआईसी की बैठक भारत के लिए किसी झटके से कम नहीं है।
बैठक में भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला
सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई OIC की बैठक में कश्मीर के मौजूदा हालात पर चर्चा के दौरान भारत के खिलाफ जमकर जहर उगला गया । इस दौरान पाकिस्तान ने OIC से कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए "अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने" का आग्रह किया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान के अनुरोध पर जम्मू-कश्मीर पर OIC संपर्क समूह की एक डिजिटल बैठक के दौरान विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने यह टिप्पणी की। इसने बताया कि अपने संबोधन में कुरैशी ने OIC से कश्मीर मुद्दे के स्थायी समाधान के लिए अपने प्रयासों को आगे बढ़ाने का आग्रह किया।
कुरैशी ने बैठक के बाद मीडिया को बताया कि समूह कश्मीर की स्थिति को समझने के लिए एक अवलोकन मिशन बनाने पर सहमत हुआ है। OIC कॉन्टैक्ट ग्रुप के विदेश मंत्रियों की इस बैठक में कहा गया कि भारत सरकार की ओर से 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाकर उसके विभाजन का फ़ैसला संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव और अंतरराष्ट्रीय क़ानूनों का उल्लंघन है। इस्लामिक देशों के बयान में कहा गया कि कश्मीर पर भारत का फैसला संयुक्त राष्ट्र के सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव की प्रतिबद्धता का भी उल्लंघन है।
इस्लामी देशों ने की कायराना हरकत
इस बैठक का आधार संयुक्त राष्ट्र की उन दो रिपोर्टों को बनाया गया है जो जून 2018 और जुलाई 2019 में आई थीं। इसके लगभग एक साल बाद इस्लामिक देशों को इसपर आपातकालीन बैठक बुलाने की जरुरत पड़ी। बता दें कि इस्लामिक देशों ने अभी तक कश्मीर के मसले पर चुप्पी बनाए रखी थी। सऊदी अरब ने इस मामले पर कोई बयान जारी नहीं किया था और संयुक्त अरब अमीरात ने कश्मीर को भारत का आंतरिक मामला बताया था।
लेकिन अब भारत को चीन के साथ सीमा विवाद में उलझा देखकर इस्लामी देशों ने कायराना हरकत शुरु कर दी और विदेशी मंच पर भारत के लिए मुश्किलें खड़ी करने की कोशिश की है। कश्मीर को लेकर पाकिस्तान, तुर्की, मलेशिया और ईरान हमेशा शोर मचाते रहे। लेकिन OIC ने उनकी नहीं सुनी लेकिन जैसे ही चीन से भारत का विवाद शुरु हुआ सभी इस्लामी देशों ने आवाज उठानी शुरु कर दी।
सऊदी अरब का भारत विरोधी चेहरा बेनकाब
इस बैठक से सऊदी अरब का भारत विरोधी चेहरा भी खुलकर सामने आ गया है। सऊदी अरब इस्लामी देशों के संगठन में प्रमुख स्थान रखता है। वो अभी तक कश्मीर के मुद्दे पर भारत का विरोध करने से बचता आया थाक्योंकि उसके कई हित भारत से जुड़े हैं। इसका सबूत ये है कि इसके पहले भी कश्मीर पर पाकिस्तान ने तुर्की, मलेशिया, ईरान को साथ लेकर बैठक करने की कोशिश की थी। तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन, ईरान के राष्ट्रपति रूहानी, मलेशिया के उस समय के पीएम महातिर मोहम्मद और पाकिस्तान ने कुआलालंपुर में कश्मीर पर बैठक करने की योजना बनाई थी लेकिन सऊदी अरब के इशारे पर इस मुहिम को रोक दिया गया था ।
लेकिन अब मुस्लिम देशों ने रंग बदलना शुरु कर दिया है। साल 1994 में जम्मू कश्मीर पर बनाए गए ओआईसी के इस कॉन्टैक्ट ग्रुप में सऊदी अरब भी शामिल है। उसके इशारे के बिना ओआईसी में पत्ता भी नहीं हिलता। सऊदी अरब चाहता तो इस्लामिक देशों के संगठन में शायद भारत विरोधी प्रस्ताव पास नहीं हो पाताय़ सऊदी अरब ने सोमवार की बैठक में भी सावधानी बरतते हुए भारत के खिलाफ किसी तरह का बयान नहीं दिया लेकिन पीठ पीछे से भारत का नुकसान करने में कोई कसर भी नहीं छोड़ी।