ऑफ द रिकॉर्डः यह चाचा-भतीजा के बीच की लड़ाई है

Tuesday, Nov 26, 2019 - 02:19 AM (IST)

 नेशनल डेस्कः अब यह बात स्पष्ट हो रही है कि राकांपा प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे अजीत पवार के बीच मतभेद वास्तविक हैं। ये मतभेद उस समय से चले आ रहे थे जब अजीत के पुत्र और शरद के पौत्र पर्थ पवार मावल से शिवसेना के हाथों हार गए थे। यह सीट 2009 से शिवसेना के पास थी।

अजीत पवार ने महसूस किया कि यदि शरद पवार चाहते तो वह उनके बेटे को यह सीट जीतने में सहायता कर सकते थे लेकिन शरद पवार कभी नहीं चाहते कि उनके परिवार से सुप्रिया सुले के अलावा कोई व्यक्ति लोकसभा में पहुंचे। वह तीसरी बार लोकसभा सदस्य बनी हैं और राष्ट्रीय राजनीति में पवार की उत्तराधिकारी हैं। 

चाचा-भतीजे के बीच खाई उस समय और गहरी हो गई जब अजीत पवार ने पार्टी की कोर कमेटी की बैठक में 17 नवम्बर को पुणे में भाजपा के साथ गठबंधन की वकालत की लेकिन शरद पवार ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और शिवसेना और कांग्रेस के साथ आगे बढऩे का फैसला किया। उसी समय अजीत पवार ने राकांपा से रिश्ते खत्म कर भाजपा के देवेन्द्र फड़णवीस से सम्पर्क साध लिया। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि वह कोई डील करने के लिए अमित शाह सहित भाजपा के कुछ नेताओं से भी मिले थे। 

रोचक बात यह है कि 18 नवम्बर को जब शरद पवार पार्लियामैंट हाऊस चैम्बर में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात कर रहे थे उस समय अजीत पवार भाजपा के साथ अलग ही खिचड़ी पका रहे थे। जब शिवसेना नेता संजय राऊत को शरद पवार की प्रधानमंत्री से मुलाकात बारे पूछा गया था तो उन्होंने कहा था, ‘‘शरद पवार को समझने के लिए आपको 100 जन्म लेने होंगे।’’

लेकिन उस समय राऊत को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि उनकी यह टिप्पणी अजीत पवार पर भी सटीक बैठती है। यह अजीब स्थिति है जब शरद पवार राकांपा के सभी 54 विधायकों का समर्थन प्राप्त होने का दावा कर रहे हैं, वहीं अजीत भी इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि अधिकतर विधायक उनके साथ हैं। बहरहाल इस सारे मामले का पटाक्षेप सदन में बहुमत परीक्षण वाले दिन हो जाएगा।

Pardeep

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