ऑफ द रिकार्ड: शीला दीक्षित के ‘एकला चलो’ ने कांग्रेस को बांटा
Monday, Feb 25, 2019 - 05:11 AM (IST)
नेशनल डेस्क: आगामी लोकसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (आप) के साथ गठबंधन के मुद्दे पर दिल्ली कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित ने कठोर रवैया अपना रखा है जिसके चलते कांग्रेस नेतृत्व में गंभीर मतभेद पैदा हो गए हैं। शीला पर आरोप लगाया जाता रहा है कि 2012 में भाजपा के खतरे से निपटने के लिए उन्होंने ही आम आदमी पार्टी को पनपने में मदद की लेकिन इसका नुक्सान कांग्रेस को ही उठाना पड़ा।
केजरीवाल जोकि शीला दीक्षित का ही प्रोडक्ट थे, उन्होंने अपनी अलग राजनीतिक पार्टी बना ली और कांग्रेस को चलता कर दिया। इस सबसे नाराज शीला ने ‘आप’ के साथ किसी चुनावी गठबंधन की चर्चा से इंकार कर दिया है। ममता बनर्जी, चंद्रबाबू नायडू और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के दबाव के बावजूद वह ‘आप’ को लेकर अपने रुख पर कायम हैं।
शीला दीक्षित के बारे में कहा जा रहा है कि उन्होंने आम आदमी पार्टी की उस पेशकश को ठुकरा दिया है जिसमें कांग्रेस को 3 सीटें देने, चौथी सीट पर सांझा उम्मीदवार उतारने और बाकी की 3 सीटें ‘आप’ को देने की बात कही गई थी। उन्होंने इस पेशकश को यह कहते हुए ठुकरा दिया कि दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी का पूरी तरह से सफाया हो जाएगा और कांग्रेस उसे नहीं ढोएगी। उनकी दलील है कि दिल्ली में ‘आप’ अपनी विश्वनीयता खो चुकी है और जनता केजरीवाल को सबक सिखाएगी।
हालांकि कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ नेता उन्हें यह समझाने का प्रयास कर रहे हैं कि त्रिकोणीय मुकाबला होने से भाजपा दिल्ली में सभी 7 सीटों पर जीत जाएगी लेकिन शीला अपने रुख पर अडिग हैं। उनका मानना है कि भाजपा का ग्राफ नीचे आया है जबकि कांग्रेस ने अपनी स्थिति में सुधार किया है। शीला दीक्षित की वरिष्ठता के मद्देनजर कोई उन पर दबाव नहीं डालना चाहता। यहां तक कि राहुल गांधी भी इस मामले में दखल नहीं दे रहे और उन्होंने ममता बनर्जी व चंद्रबाबू नायडू को कह दिया है कि इस बारे फैसला दिल्ली कांग्रेस ही करेगी।
इसके चलते केजरीवाल दिल्ली में सभी विपक्षी दलों की रैली नहीं कर पा रहे जिसका उन्हें कोलकाता में ममता की रैली के दौरान वादा किया गया था। इन्हीं मतभेदों के चलते चंद्रबाबू नायडू भी अमरावती में ऐसी रैली नहीं कर पा रहे हैं। कहा जा रहा है कि राहुल दिल्ली के मामले में तभी दखल देंगे जब महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में गठबंधन की घोषणा हो जाएगी। केवल शीला दीक्षित के रुख की वजह से कांग्रेस दिल्ली की सभी 7 सीटों को थाली में परोस कर भाजपा को नहीं दे सकती।