ऑफ द रिकॉर्ड: राहुल का अध्यक्ष पद से हटना हुड्डा के हित में

Friday, Aug 30, 2019 - 05:57 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अपनी कार्यशैली के अनुरूप कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पार्टी में एकजुटता के लिए कड़ी मेहनत कर रही हैं जो 2019 के लोकसभा चुनावों में करारी हार के बाद मरणासन्न स्थिति में है। राहुल गांधी चंचल मन के, जिद्दी और कुछ हद तक अधीर स्वभाव के हैं जबकि सोनिया उनके विपरीत ठंडे दिमाग से काम लेती हैं और कोई भी निर्णय लेने से पहले उस पर मंथन करती हैं। वह जानती हैं कि भाजपा राज्यों में उसके नेताओं को अपने पाले में करने की फिराक में है तथा सी.बी.आई., ई.डी. और अन्य एजैंसियों के माध्यम से पार्टी के दिग्गज नेताओं की छवि को खराब करना चाहती है। 

कई मामलों में तो सोनिया गांधी ने राहुल गांधी की यंग ब्रिगेड को नियंत्रण में रखा है जबकि वरिष्ठ नेताओं को पूरा सम्मान दिया है। हालांकि उन्होंने अभी तक ए.आई.सी.सी. के ढांचे से कोई छेड़छाड़ नहीं की है और राहुल गांधी द्वारा चुनी गई टीम को ही बरकरार रखा है लेकिन उनके खास विश्वासपात्र अहमद पटेल अब महत्वपूर्ण स्थिति में आ गए हैं जो राहुल गांधी के समय हाशिए पर धकेल दिए गए थे। हालांकि अहमद पटेल का महत्व तब भी कम नहीं हुआ था लेकिन वह राहुल गांधी के नजदीकियों में स्थान नहीं बना पाए थे। अब क्योंकि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं हैं और ऐसे में सोनिया गांधी के विश्वासपात्र वफादारों की टीम वापस आ रही है। 

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा के प्रति सोनिया गांधी का हमेशा नरम रवैया रहा है लेकिन राहुल गांधी ने उन्हें कभी भी महत्व नहीं दिया। इसके विपरीत राहुल की टीम हरियाणा में हुड्डा विरोधी लोगों से भरी हुई थी। अब हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष तथा राहुल गांधी के खास अशोक तंवर को बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है।

वास्तव में रणदीप सिंह सुरजेवाला, कुमारी शैलजा, कैप्टन अजय यादव तथा अन्य नेताओं सहित पूरा हरियाणा कांग्रेस नेतृत्व तंवर को हटाने के पक्ष में है। ये लोग हुड्डा के विरोधी हो सकते हैं लेकिन उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी यह स्पष्ट कर दिया है कि यदि तंवर को नहीं हटाया जाएगा तो हरियाणा में पार्टी का विनाश निश्चित है। इस राज्य में शीघ्र ही चुनाव होने हैं और हुड्डा द्वारा तंवर को न हटाने की स्थिति में पार्टी छोड़ने की धमकी से कांग्रेस पहले ही गहरे संकट में है।

सोनिया ने हरियाणा के राज्य प्रभारी गुलाम नबी आजाद को स्पष्ट किया है कि यदि भाजपा को टक्कर देनी है तो पार्टी में एकजुटता बनानी होगी। इस बात की काफी संभावना है कि यहां कुमारी शैलजा पार्टी का नया चेहरा हो सकती हैं और हुड्डा यह संकेत दे चुके हैं कि वह इस पद के लिए किसी को भी स्वीकार कर लेंगे।

Pardeep

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