ऑफ द रिकॉर्डः पी.एस.यू. के लिए नहीं मिल रहे खरीदार

Friday, Jan 10, 2020 - 06:17 AM (IST)

नेशनल डेस्कः इस वित्त वर्ष में मोदी सरकार की विनिवेश योजना चर्चा में रही है। बी.पी.सी.एल., कॉनकोर तथा एयर इंडिया जैसे नवरत्न सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों (पी.एस.यूज) को बेच कर सरकार की एक लाख करोड़ रुपए से अधिक कमाने की योजना भी काफी चर्चित रही है लेकिन 2019-20 में अब तक सरकार विनिवेश द्वारा केवल 17,364 करोड़ रुपए ही इकट्ठे कर पाई है। 

विदेशी निवेशक भी भारत में कारोबार खरीदने में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहे हैं जिसके चलते अब मोदी सरकार दोबारा से नए तौर-तरीकों पर काम कर रही है ताकि घट रहे सरकारी खजाने को भरने के लिए हजारों करोड़ रुपए इकट्ठे किए जा सकें। 2019-20 के दौरान जी.एस.टी. कलैक्शन 1.18 लाख करोड़ तक घटा है और प्रत्यक्ष करों से भी अनुमान से कम पैसा एकत्रित हुआ है। राजस्व आमदनी में 2.50 लाख करोड़ तक की कमी की आशंका जताई जा रही है। 

हताश हो चुकी सरकार अब बी.पी.सी.एल. को बेचना चाह रही है। हालांकि बी.पी.सी.एल. का वास्तविक मूल्य 1.50 लाख करोड़ रुपए से अधिक है लेकिन वह इसे 75,000 करोड़ रुपए में ही बेचने को तैयार है। यहां तक कि एयर इंडिया के लिए भी सरकार ने स्पैशल पर्पज व्हीकल्ज (एस.पी.वी.) के लिए 20,000 करोड़ रुपए ट्रांसफर किए हैं। एयर इंडिया को अधिक आकर्षक बनाने के लिए एस.पी.वी. में पहले से ही 28,000 करोड़ रुपए रखे गए हैं। अब सरकार प्रोजैक्टों और समाज कल्याण की योजनाओं पर पहले की अपेक्षा कम खर्च कर रही है ताकि वित्तीय घाटे को काबू में रखा जा सके। बी.एस.एन.एल. कर्मचारियों के लिए घोषित की गई वी.आर.एस. योजना (जिस पर 69,000 करोड़ रुपए खर्च आएगा) को भी विलम्बित किया जा रहा है क्योंकि सरकार के पास पैसे का अभाव है। सैंसेक्स समेत पूरे बाजार में छाई मंदी के कारण सरकार चिंता में है।

दुनिया भर में जारी अनिश्चितता के माहौल और भारत में बढ़ते सामाजिक तनाव के चलते निवेश के माहौल पर विपरीत असर पड़ा है। बाहरी निवेशक लंबी अवधि की योजनाओं में निवेश करने की बजाय शेयर मार्कीट में पैसा लगाकर उससे शीघ्र लाभ कमाकर पैसा वापस निकाल रहे हैं। इन सब बातों की पृष्ठभूमि में यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि मार्च के अंत तक सरकार कुछ पी.एस.यूज की बिक्री का काम पूरा नहीं कर पाएगी।

Pardeep

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