ऑफ द रिकॉर्ड: यशवंत सिन्हा के बाद निर्मला बनीं ‘रोल बैक वित्त मंत्री’

Tuesday, Aug 27, 2019 - 05:42 AM (IST)

नेशनल डेस्क: मई 2014 में सत्ता में आने तथा दूसरी बार लोकसभा चुनाव जीतने के बाद यह पहली बार है कि मोदी सरकार ने अर्थव्यवस्था में मंदी की बात स्वीकार की है। एक तरह से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण पिछले 20 वर्षों में पहली ‘रोल बैक वित्त मंत्री’ बन गई हैं। इससे पहले 1998 में वाजपेयी सरकार में यशवंत सिन्हा को ‘रोल बैक एफ.एम.’ के तौर पर जाना जाता था। 

स्वदेशी जागरण मंच में सिन्हा को बजट के कई प्रमुख प्रस्तावों को वापस लेने के लिए मजबूर किया गया था क्योंकि वाजपेयी सरकार एक गठबंधन सरकार थी और कमजोर भी थी इसलिए सिन्हा को वह कड़वा घूंट पीना पड़ा था लेकिन उसके बाद सभी वित्त मंत्रियों ने दबाव का सामना किया और कोई रोल बैक नहीं देखा गया। अब यह पहली बार है कि निर्मला सीतारमण को कड़वा घूंट पीना पड़ा और कई मुख्य कर प्रस्तावों को वापस लेना पड़ा जिनमें एफ.पी.आइज पर सरचार्ज, लम्बी अवधि और छोटी अवधि के पूंजी लाभ पर सरचार्ज तथा अन्य शामिल हैं। 

ये फैसले मोदी को विभिन्न स्रोतों से यह फीडबैक मिलने के बाद लिए गए कि अनौपचारिक क्षेत्र में काफी संख्या में नौकरियां गई हैं, एम.एस.एम.ई. बंद हो रहे हैं, टैक्स टैरेरिज्म कहर ढा रहा है और वित्त मंत्रालय में नौकरशाहों का अच्छा समय है क्योंकि निर्मला इस मंत्रालय में नई हैं। लेकिन मोदी ने भी नोटबंदी के बाद इस बात के संकेतों को नजरअंदाज किया था कि अनौपचारिक क्षेत्र में काफी घाटा हुआ है तथा बहुत-सी नौकरियां गई हैं। जी.एस.टी. और अधिक मुसीबतें लेकर आया तथा रही-सही कसर निर्मला सीतारमण के बजट ने पूरी कर दी। हालांकि मोदी बैकग्राऊंड में रहे लेकिन पी.एम.ओ. के वरिष्ठ अधिकारियों नृपेन्द्र मिश्रा और पी.के. मिश्रा ने वित्त मंत्रालय के अधिकारियों को बुलाया और अनुदान का पिटारा खोला गया। 

पी.एम.ओ. इस बात को लेकर चिंतित है कि अभी अर्थव्यवस्था में गिरावट की शुरूआत है और यदि इसे काबू न किया गया तो चीजें हाथ से फिसल जाएंगी। मोदी के पास चीजों को सुधारने की अद्भुत क्षमता है। उन्होंने 2016 में नोटबंदी के बाद कुछ सुधार करने का प्रयास किया था और 2017 में जी.एस.टी. में काफी कलाबाजियां कीं। अब वह इस बात को महसूस कर रहे हैं कि आयकर, ई.डी., सी.बी.आई., पुलिस, डी.आर.आई., एस.एफ.आई.ओ., एन.सी.ए. सहित 18 विभागों को गिरफ्तार करने की शक्ति देने से काफी नुक्सान हो रहा है। पूंजी और टैलेंट बाहर जा रहे हैं जिन्हें रोकना जरूरी है इसलिए कई कदम वापस लेने पड़ रहे हैं। अरुण जेतली के निधन के बाद सरकार में ऐसा कोई मजबूत व्यक्ति नजर नहीं आता जो इन समस्याओं को सुने तथा मोदी सरकार से मजबूती के साथ यह कह सके कि चीजें गलत दिशा में जा रही हैं। 

Pardeep

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