ऑफ द रिकॉर्डः ‘पाकिस्तान और चीन को सीधा करने के लिए मोदी ने बदल डालीं नीतियां’

Sunday, Feb 28, 2021 - 04:53 AM (IST)

नई दिल्लीः चीन और पाकिस्तान से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2 बड़े बदलाव किए हैं। पहला-व्यापार गतिविधियां और सीमा पर लड़ाई एक साथ नहीं चल सकते। दूसरा-जमीन और सीमा पर सैन्य बल जो फैसले लेते हैं, उनमें विदेश मंत्रालय की मर्जी हावी नहीं होगी। 

यह नई नीति कांग्रेस सरकारों और यहां तक कि वाजपेयी सरकार की नीति से अलग है। आसान शब्दों में कहें तो पहले जब कभी भी पाकिस्तान व चीन सीमा पर गोलाबारी या कोई और घटना होती थी तो विदेश मंत्रालय का अधिकारी रक्षा मंत्रालय की रणनीति समिति के समक्ष पहुंच जाता था और पूरे हालात का जायजा लेने के बाद अगर उसे लगता था कि सीमापार से भड़काऊ कार्रवाई हुई है तो वह जवाबी कार्रवाई के लिए हरी झंडी देता था। 

साफ है कि इससे सैन्य बलों के हाथ बंधे हुए थे और वे चाह कर भी कुछ नहीं कर पाते थे। पिछली सरकारों और स्वयं मोदी ने भी सीमा विवाद के बावजूद चीन और पाकिस्तान से व्यापार जारी रखा था। परंतु 2015 में जब मोदी बिना किसी पूर्व कार्यक्रम के अचानक तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से मिलने लाहौर पहुंच गए तो उन्हें उम्मीद थी कि शायद पाकिस्तान से संबंध सुधर जाएंगे। 

मोदी का सपना तब चकनाचूर हो गया जब पठानकोट में आतंकी हमला हो गया और पाकिस्तान के कट्टरपंथियों ने नवाज शरीफ सरकार की एक नहीं चलने दी। फिर क्या था, मोदी ने अपना रवैया कड़ा किया और पाकिस्तान को अछूत बना दिया। अब अचानक पाकिस्तान भारत के साथ शांति बनाए रखने के लिए सीमा पर संघर्ष विराम व अन्य समझौतों को लागू करने को तैयार हो गया है। देखना होगा शांति का यह दौर कब तक चलता है। 

मोदी ने चीन के खिलाफ भी अपने रुख को तब सख्त कर लिया जब उसने कोविड महामारी के बीच अप्रैल 2020 में लद्दाख में सीमा का उल्लंघन किया। चीन की हरकत के बाद उससे व्यापारिक संबंध रातों-रात तो तोड़े नहीं जा सकते थे परंतु ये धीमी गति में डाल दिए गए। मोदी ने चीन के सैंकड़ों ऐप बंद कर दिए और वहां से आने वाले निवेश पर पाबंदियां लगा दीं। इसके साथ ही, अपनी मर्जी से जमीन और सीमा पर कार्रवाई करने के लिए सैन्य बलों के हाथ खोल दिए।  

Pardeep

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