ऑफ द रिकॉर्डः सोनिया के प्रधानमंत्री को लिखे खत पर विवाद

Sunday, Apr 12, 2020 - 05:24 AM (IST)

नेशनल डेस्कः सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे उस खत पर विवाद छिड़ गया है जिसमें उन्होंने परामर्श दिया है कि प्रिंट, इलैक्ट्रॉनिक एवं सोशल मीडिया को सरकारी विज्ञापन अगले 2 सालों तक के लिए रोक देने चाहिएं। उन्होंने इस पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से कहा कि इस कदम से 1,250 करोड़ रुपए बचेंगे। सोनिया ने 20,000 करोड़ रुपए के सैंट्रल विस्टा प्लान को भी रोकने की मांग की।

इस बात पर विवाद पैदा हो गया कि 5 बिंदुओं वाले खत में सबसे पहला सुझाव मीडिया को सरकारी विज्ञापन रोकना ही क्यों रहा? मीडिया की लाइफ लाइन को काटने वाले इस सुझाव से बड़ा विवाद पैदा हो गया और सभी मीडिया संगठनों ने इस सुझाव का विरोध किया और कुछ ने तो इसे कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित एक और ‘एमरजैंसी’ बताया। 

इस मसले पर विवाद पैदा होने के बाद हर कोई इस खत की जिम्मेदारी लेने से बच रहा है। कांग्रेस पार्टी के मुख्य मसौदाकार जयराम रमेश ने अपने मित्रों से कहा कि उनका इस खत से कोई लेना-देना नहीं है। राज्यसभा नेता एवं कांग्रेस के अन्य मसौदाकार आनंद शर्मा मीडिया पर आरोप लगाते रहे हैं कि वह पार्टी के नेताओं की गलत छवि पेश कर रहा है लेकिन उन्हें भी यह कहते सुना गया कि ‘मैडम’ ने इस खत को लेकर उनसे कोई सलाह-मशविरा नहीं किया। राहुल गांधी के कार्यालय ने भी इस मसले से किनारा करते हुए कहा कि इस खत की ड्राफ्टिंग से उसका कोई लेना-देना नहीं है। यह सच है कि खतों की ड्राफ्टिंग के लिए सोनिया गांधी, प्रियंका और राहुल तीनों की अपनी अलग टीम है। 

सोनिया गांधी की टीम में कार्यकारी समिति के चुनिंदा सदस्य जैसे ए.के. एंटनी और अहमद पटेल शामिल हैं, वहीं राहुल गांधी के पास अपने स्पीच एवं लैटर राइटर हैं और प्रियंका के पास अपनी टीम है। मीडिया को लेकर दिए गए सोनिया गांधी के सुझाव पर पार्टी का कोई नेता बात नहीं करना चाहता। उनका कहना है कि खत में 4 अन्य बिंदू भी हैं उन पर आप बात क्यों नहीं करते? 

Pardeep

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