ऑफ द रिकॉर्डः दिल्ली में हिंदुत्व कार्ड के सहारे भाजपा
Thursday, Jan 30, 2020 - 06:11 AM (IST)
नेशनल डेस्कः गुजरात और यू.पी. में हिन्दुत्व कार्ड का सफल परीक्षण करने के बाद अब भाजपा दिल्ली विधानसभा चुनावों में शाहीन बाग में हो रहे सी.ए.ए. विरोधी प्रदर्शनों के सहारे अपनी नैया पार लगाना चाहती है। यह पहला मौका है जब दिल्ली में मुस्लिम विरोधी मुद्दे पर प्रचार किया जा रहा है।
1960 के दशक में गऊ संरक्षण के मुद्दे पर भगवा दल को कुछ बढ़त मिली थी लेकिन इससे जनसंघ को कोई खास लाभ नहीं मिल पाया। उसके बाद 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन शुरू हुआ तथा भाजपा को कुछ लाभ मिला लेकिन इसके बाद राजनीति फिर ‘सर्वसम्मति’ पर लौट आई। इस तरह के मुद्दों पर यह शहर लगभग शांत रहा और पार्टी यहां लम्बे समय से सत्ता से वंचित रही।
दिल्ली एक कॉस्मोपॉलीटन शहर है जिसकी लगभग 2 करोड़ जनसंख्या में अधिकतर लोग पूरे देशभर से तथा कुछ लोग पड़ोसी राज्यों से भी हैं। राष्ट्रीय राजधानी में लगभग 20 वर्ष से सत्ता से बाहर चल रही भाजपा यह सोच कर चल रही है कि हिन्दुत्व कार्ड अथवा मुस्लिम विरोधी प्रचार से उसके सितारे चमक सकते हैं।
विभिन्न सर्वेक्षणों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को स्पष्ट बहुमत दिखाया जा रहा है जिसके चलते भाजपा नेतृत्व ने अब स्थानीय चुनावों में हिन्दुत्व कार्ड का परीक्षण करने का फैसला किया है। पार्टी के दिग्गजों ने केजरीवाल द्वारा दी जा रही मुफ्त बिजली-पानी की सुविधाओं पर व्यापक विचार-विमर्श करने के बाद यह फैसला लिया कि इन सुविधाओं की काट और ज्यादा सुविधाएं देकर नहीं की जा सकती। तब यह फैसला लिया गया कि शाहीन बाग को एक टैस्ट केस बनाया जाए तथा इसके साथ ही पार्टी यह उम्मीद कर रही है कि इससे ध्रुवीकरण होगा जो वोटिंग पैटर्न को तय करेगा।
केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत पार्टी के सभी नेता तथा स्थानीय सांसद और उम्मीदवार शाहीन बाग के प्रदर्शनों को सीमापार के दुश्मनों से जोड़ रहे हैं। यहां तक कि एक केन्द्रीय मंत्री ने इन प्रदर्शनकारियों को गद्दार बताया और भीड़ को उन्हें उचित जवाब देने के लिए उकसाया। दिल्ली के चुनाव वास्तव में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला बन चुके हैं।
अमित शाह ने तो यहां तक कहा कि केजरीवाल, राहुल गांधी और पाकिस्तान के पी.एम. इमरान खान एक ही भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं। उधर भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कहना है कि विपक्ष सी.ए.ए. के मसले पर लोगों को गुमराह कर रहा है। अब सब लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हुई हैं कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी दिल्ली में शीघ्र ही होने वाली अपनी पहली जनसभा में क्या कहते हैं।