ऑफ द रिकार्ड: BJD, TRS और YSR को साधना राहुल के लिए चिंता का सबब
Thursday, Feb 07, 2019 - 08:07 AM (IST)
नेशनल डेस्क: बीजू जनता दल (बी.जे.डी.), वाई.एस.आर. कांग्रेस (जगनमोहन रैड्डी) और तेलंगाना राष्ट्र समिति (टी.आर.एस.) ने लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस वॉर रूम खासतौर पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की चिंता बढ़ा दी है। पार्टी लोकसभा चुनाव के नतीजों में किसी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर इन तीनों दलों को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को समर्थन देने से रोकना सुनिश्चित करना चाहती है।
इन तीनों दलों ने आम चुनाव में भाजपा और कांग्रेस दोनों से ही गठबंधन नहीं करने का फैसला करते हुए अपने दम पर चुनाव लडऩे का ऐलान किया है। तेलगू देशम पार्टी के एन. चंद्रबाबू नायडू द्वारा कांग्रेस के प्रति खुशमिजाजी प्रदर्शित करने के बावजूद राहुल गांधी ने आंध्र प्रदेश की सभी 25 और तेलंगाना की सभी 17 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को मैदान में उतारने का फैसला किया है लेकिन राहुल गांधी के लिए चंद्रबाबू नायडू नहीं बल्कि वाई.एस.आर. कांग्रेस समस्या है जो पूरे राज्य में छाई हुई है। आंध्र प्रदेश में लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में राज्य में जगनमोहन रैड्डी का सरकार बनाना तय माना जा रहा है।
वाई.एस.आर. कांग्रेस के 15 से 18 लोकसभा सीटें जीतने की उम्मीद है, वहीं टी.आर.एस. 17 में से 15 लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है। ओडिशा में बी.जे.डी. भी 15 से 18 सीटें जीत सकती है। 2014 के लोकसभा चुनाव में बी.जे.डी. ने 21 में से 20 सीटें जीती थीं, वहीं 1 सीट भाजपा को मिली थी और कांग्रेस खाता भी नहीं खोल सकी थी। ऐसे में आगामी लोकसभा चुनाव में यदि भाजपा 200 से कम सीटों पर सिमट जाती है तो 543 सीटों वाली लोकसभा में इन 3 दलों को मिलाकर आने वाली 45 से 50 सीटें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।
मान लें कि भाजपा 200 सीटों पर सिमट जाती है और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (एन.डी.ए.) के घटक दल (शिवसेना, जनता दल यूनाइटेड, लोक जनशक्ति पार्टी, अपना दल, अकाली दल और ए.आई.ए.डी.एम.के.) मिलाकर 30 सीटें लाने में सफल हो जाते हैं तब भी प्रधानमंत्री मोदी को इन 3 दलों के 50 महत्वपूर्ण सांसदों की जरूरत पड़ेगी।
टी.आर.एस. जहां एक ओर भाजपा के गुप्त मित्र की भूमिका निभा सकती है, वहीं बीजू पटनायक का मोदी की ओर झुकाव कोई छुपा हुआ रहस्य नहीं है। बी.जे.डी. की भाजपा से करीबी का इस तरह भी आकलन किया जा सकता है कि पिछले 5 सालों में संसद के दोनों सदनों में उसने प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से भाजपा की मदद करने की भूमिका निभाई है। पिता की दुखद मृत्यु के बाद कांग्रेस अध्यक्ष द्वारा मुख्यमंत्री बनाने से इन्कार के चलते वाई.एस.आर. कांग्रेस के मुखिया राहुल गांधी से नफरत करते हैं।