बांग्लादेश की सीमा अब तक सील क्यों नहीं हुई ?

Saturday, Apr 09, 2016 - 03:25 PM (IST)

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह का कहना है कि विधानसभा चुनाव के बाद यदि असम में बीजेपी की सरकार बनी तो बांग्लादेशी घुसपैठ रोकने के लिए बॉर्डर को सील कर दिया जाएगा। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह भी प. बंगाल में आयोजित चुनावी जनसभा में यही कह चुके हैं कि राज्य की सीमाओं पर बाड़ लगाई जाएगी। बांग्लादेश की सीमाएं इन दो राज्यों से नहीं बल्कि पांच राज्यों की सीमा से सटी हुई हैं। घुसपैठ रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट सारे इंतजाम करने के लिए कब से निर्देश दे चुकी है। इसके लिए ये माननीय इसे चुनाव का मुद्दा क्यों बना रहे हैं? यदि इनकी पार्टी चुनाव में हार गई तो क्या एनडीए सरकार घुसपैठ रोकने के लिए बाड़ नहीं लगाएगी ? सत्ता मेंं आए उसे दो साल होने वाले हैं बॉर्डर को अब तक सील क्यों नहीं किया गया।

गौरतलब है कि पूर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से जोड़ने वाले 32 किमी लंबे और 21 से 24 किमी चौडे़ सिलीगुड़ी कॉरिडोर को चिकन नेक पट्टी के नाम से जाना जाता है। घुसपैठ रोकने के लिए भारत-बांग्लादेश सीमा को पूरी तरह सील करके और तारबंदी का काम जल्द से जल्द पूरा नहीं किया जाएगा तो घुस्पैठ को रोकना मुश्किल होगा। पिछले साल चार दशक से अधिक समय तक इंतजार के बाद भारत और बांग्लादेश में ऐतिहासिक भूमि सीमा समझौते हो चुका है। इसके तहत भारत हजारों लोगों को नागरिकता देकर उनका बोझ उठाने को तैयार हो गया है। उनके पुनर्वास की व्यवस्था भी करनी होगी। फिर भी सुरक्षा कारणों से घुसपैठ तो रोकनी ही होगी।

बताया तो यह भी जाता है कि बांग्लादेशी यहां अवैध रूप से राशन कार्ड और मतदाता पहचान-पत्र बनाकर कई विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों में निर्णायक की भूमिका निभाते रहे हैं। इससे देश की एकता और अखंडता के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है। इस वोट बैंक को समाप्त करना जरूरी है। अपने पांच राज्यों की सीमा पर नक्सली हिंसा से निपटने की तरह भारत ने खास सुरक्षा नीति को अपनाया था। कुछ समय पहले बांग्लादेश से होने वाली घुसपैठ में आतंकी शामिल नहीं होते थे। सवाल है कि कौन लोग वहां से भारत आना चाहते थे और क्यों? इसका जवाब यह सामने आया कि बांग्लादेश की खस्तााल अर्थव्यवस्था से तंग आकर रोजगार की तलाश में कई लोग भारत आ जाते। वे यहां के माहौल में ऐसे रच बस जाते कि उनका अपने देश लौटने का मन ही नहीं करता। धीरे—धीरे ये लोग पूर्वोत्तर के असम के बाद पश्चिमी बंगाल, बिहार और उत्तर प्रदेश से होते हुए देश की राजधानी दिल्ली तक आ गए। बढ़ रही आपराधिक वारदातों को रोकने के लिए जब पुलिस ने अभियान चलाए तो पकड़े गए अपराधियों में कई बांग्लादेश के नागरिक निकले। फिर सुरक्षा एजेंसियों ने निष्कर्ष निकाला कि इनकी घुसपैठ भारत में बढ़ते अपराध का एक प्रमुख कारण है।

वर्ष 2013 के अक्टूबर में वर्धमान में हुए विस्फोट की जांच की गई तो एजेेंसियों को खतरनाक तथ्य मिले। इस विस्फोट में बांग्लादेश के कट्टरपंथी संगठन जमातुल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश के दो सदस्यों के मारे गए थे। इसके बाद भारत ने बांग्लादेश से हो रही घुसपैठ को आतंकी खतरे के रूप में लेना शुरू का दिया। यही कारण है कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बांग्लादेश से जुड़ी सीमा पर कश्मीर और राजस्थान की तरह  बाड़ लगाने को कह दिया। इससे पहले असम के कुछ आदिवासी समूहों ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर करके बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण उन्हें हो रहे नुकसान से बचाने का निवेदन किया था। इन आदिवासियों का कहना था कि घुसपैठियों के कारण उनकी भाषा और परंपराओं के साथ अत्याचार किया जा रहा है। कोर्ट ने इस पर त्वरित संज्ञान लिया और सरकार से घुसपैठ से प्रभावित सभी पांचों राज्यों में कटीले तारों की बाड़ लगाने को कहा।

बांग्लादेशी घुसपैठ के कारण इन इलाकों में जातीय, धार्मिक और सामुदायिक दंगे की वारदातें बढ़ गई थी। इनसे सेना और अर्द्धसैनिक बलों की किरकिरी हो रही थी। असम-बांग्लादेश बॉर्डर पर घुसपैठ को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की थी। उसके आदेश के बावजूद ठोस काम नहीं हो रहा था। सरकार ने सीमा पर कड़ी चौकसी के इंतजाम नहीं किए। कई जगह अगर रोशनी का इंतजाम किया गया तो वहां बिजली ही नहीं है। कई जगहों पर पुलिस की गश्त के इंतजाम नहीं। ऐसे में घुसपैठ कैसे रुकती। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सख्त निर्देश दिए कि वह अवैध घुसपैठ रोकने के लिए बांग्लादेश की सीमा पर चौकसी के लिए हर संभव इंतजाम करें। 

एक अनुमान के अनुसार पूरे देश में घुसपैठियों की संख्या तीन करोड़ को पार कर चुकी है। पूर्व केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने भी डेढ़ करोड़ बांग्लादेशियों के घुसपैठ की बात स्वीकार की थी। वैध तरीके से वीजा लेकर आए करीब 15 लाख बांग्लादेशी भी देश में गायब हैं। छह मई 1997 में संसद में दिए बयान में तत्कालीन गृह राज्यमंत्री इंद्रजीत गुप्ता ने भी स्वीकार किया था कि देश में एक करोड़ बांग्लादेशी हैं। बे-रोकटोक घुसपैठ के कारण सीमावर्ती राज्यों का जनसंख्या संतुलन बिगड़ गया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछली जनगणना में बांग्लादेश से एक करोड़ लोग गायब हैं। भारत में इन घुसपैठियों के चोरी, लूटपाट, डकैती, हथियार एवं पशु तस्करी, जाली नोट एवं नशीली दवाओं के कारोबार जैसी आपराधिक गतिविधियों में शामिल होने के कारण कानून व्यवस्था के लिए गंभीर खतरा है। इसके अलावा ये आतंकवादी संगठनों एवं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की गतिविधियों के लिए एक हथियार बन गए है। केंद्र सरकार को विधानसभा चुनाव की प्रतीक्षा किए बिना देश हित में सीमाओं को पूरी तरह बाड़ लगाकर सील कर दिया जाना चाहिए था। 

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