NRC में एक ही परिवार के कुछ सदस्यों के नाम शामिल, कुछ के नहीं

Tuesday, Jul 31, 2018 - 07:18 PM (IST)

गुवाहाटी: असम में सोमवार को प्रकाशित राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) में नाम नहीं होने से 40 लाख से अधिक लोगों की चिंताएं बढ़ गई हैं। हालांकि कई ऐसे मामले भी देखने को मिल रहे हैं कि मसौदे में एक ही परिवार के कुछ लोगों के नाम शामिल हैं और कुछ के नहीं। एनआरसी के मसौदे में जिनके नाम शामिल नहीं हैं, उनमें से कई ने इस बात को उठाया कि समान तरह के दस्तावेज उपलब्ध कराने के बावजूद परिवार के अन्य सदस्यों के नाम तो सूची में शामिल कर लिए गए लेकिन उनका नाम छोड़ दिया गया।

बराक घाटी के कई प्रमुख लोगों के नाम मसौदे में नहीं हैं। इनमें भाजपा विधायक दिलीप पॉल की पत्नी अर्चना पॉल, कांग्रेस के पूर्व विधायक अतउर रहमान मजरभुईयां और एआईयूडीएफ की कचार इकाई के अध्यक्ष समीमुल इस्लाम और परिवार के अन्य सदस्य शामिल हैं। पॉल ने कहा, यह अंतिम सूची नहीं है और घबराने की कोई जरूरत नहीं है। मेरी पत्नी का नाम सूची में नहीं है और वह तय प्रक्रिया के तहत दावा करेंगी। हमें अंतिम एनआरसी की प्रतीक्षा करनी चाहिए।’

करीमगंज (एन) से कांग्रेस के विधायक के डी पुरकायस्थ ने कहा कि यह सच है कि दावे, आपत्ति और सुधार किए जा सकते हैं लेकिन एक ही परिवार के लोगों के नाम को शामिल नहीं किया जाना ‘बहुत अनुचित’ है और इससे गरीब लोगों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है। पुरकायस्थ ने कहा, मसौदे में काफी गलतियां हैं और इसका इरादा लोगों और खासकर गरीबों को परेशान करना है, जो दैनिक मजदूर हैं और जिनके पास एनआरसी सेवा केंद्रों तक पहुंचने के संसाधन उपलब्ध नहीं हैं।’
सूची में बेटी और पत्नी का नाम, पति का नहीं
बिलासपुर की रहने वाली 40 वर्षीय सायरा बेगम गुवाहाटी में घरेलू सहायिका के तौर पर काम करती हैं। उन्होंने बताया कि सूची में उनका और उनकी बेटी के नाम शामिल हैं लेकिन उनके पति का नाम नहीं है। उन्होंने बताया कि आवेदन करते समय पति के नाम को परिवार के मुखिया के तौर पर अंकित किया गया था। बेगम के दोनों बेटों के नाम भी एनआरसी के मसौदे में नहीं हैं। उन्होंने कहा, हम इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि उनका नाम मसौदे में शामिल नहीं है। मेरे पति और बेटों को अब फिर से गांव जाना होगा, जहां उन्होंने सूची में नाम दर्ज किए जाने के लिए आवेदन किया था। हमने एक ही दस्तावेज पेश किए थे और वास्तव में मुझे यह साबित करना था कि उनसे (मेरे पति से) मेरा निकाह हुआ है।’

कांग्रेस नेता बोबीता शर्मा ने कहा कि कम-से-कम उन लोगों के नामों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए था, जिनको लेकर कोई संदेह नहीं है। कॉटन स्टेट यूनिर्विसटी के बंगाली विभाग के प्रमुख प्रशांत चक्रवर्ती ने कहा कि उनके दो बड़े भाइयों के नाम अंतिम मसौदे में है लेकिन उनकी पत्नियों और बच्चों के नाम सूची में नहीं हैं। 

shukdev

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