अब एक ही तेल को बार-बार इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे रेस्तरां, FSSAI करेगी कार्रवाई

Sunday, Feb 24, 2019 - 01:20 AM (IST)

नेशनल डेस्कः खाद्य तेल में पाया जाने वाला ट्रांस फैट धीमा जहर है, जो हृदय और गुर्दा समेत शरीर के कई अंगों को प्रभावित कर मौत का कारण बनता है। यह बात भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) द्वारा ट्रांस फैट को लेकर एक जन-जागरुकता अभियान को शुरू करने के मौके पर कही।

विशेषज्ञों ने बताया कि ट्रांस फैट एक प्रकार का असंतृप्त वसा अम्ल (अनसैचुरेटेड फैटी एसिड) है। जो प्रकृति में बहुत कम यात्रा में पाया जाता है और जिससे कोई नुकसान नहीं होता है। लेकिन उद्योग द्वारा जब इसका उपयोग खाद्य में किया जाता है, तो यह जहर जैसा बन जाता है। लेकिन अब बहुत जल्द बड़े रेस्टोरेंट और फूड कंपनियां जला हुआ तेल बार-बार इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे। जी हां, 1 मार्च से लागू होने वाले नए नियम के तहत ऐसा हो पाएगा। फूड रेग्यूलेटर FSSAI ने यह आदेश जारी किया है। ऐसा करने से ट्रांसफैट की समस्या पर लगाम लगेगी।

रखना होगा लेखा जोखा
इस नए नियम के अनुसार जो भी बड़े रेस्टोरेंट्स हर रोज 50 लीटर से ज्यादा कुकिंग ऑयल का इस्तेमाल करते हैं उनको अपना लेखा यानी रिकॉर्ड रखना होगा। इस रिकॉर्ड में बताया जाएगा कि उन्होंने तेल कहां से लिया। कितना इस्तेमाल किया है और कितना डिस्कार्ड किया, डिस्कार्ड किसे किया। गौरतलब है कि जो भी सरकारी एजेंसी इस तेल को लेगी वह इसे बायोडीजल के लिए इस्तेमाल करेगी।

FSSAI के सीईओ डॉ. पवन अग्रवाल ने कहा कि ट्रांस फैट के कारण होने वाली दिल की बीमारी में दुनियाभर में हर साल करीब पांच लाख लोगों की मौत होती है। इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2022 तक दुनिया को ट्रांस फैट से मुक्त करने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने कहा, "भारत में इससे हर साल 60,000 लोगों की मौत होती है और हम विश्व स्वास्थ्य संगठन की समय सीमा से पहले इस लक्ष्य को हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं।

Yaspal

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