फांसी देने के नए नियम: अब बदल जाएगा फांसी देने का तरीका बदलेगा! नई योजना लाने की तैयारी में केंद्र सरकार
punjabkesari.in Wednesday, Nov 12, 2025 - 05:03 PM (IST)
नेशनल डेस्क: भारत में फाँसी की सज़ा को लेकर काफी समय से पुराने तरीके को ही दोहराया जा रहा है। ऐसे एक जानकारी सामने आई, जिसके अनुसार फांसी देने के तरीको में बदलाव किया जा सकता है। यानि की जल्द ही जल्लादों के माध्यम से सज़ा-ए-मौत देने का औपनिवेशिक काल का तरीका इतिहास बन सकता है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी है कि वह मौत की सज़ा को लागू करने के लिए फाँसी की जगह कोई कम दर्दनाक और अधिक मानवीय विकल्प लाने पर विचार कर रही है।
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क्यों है फाँसी असंवैधानिक?
वरिष्ठ वकील ऋषि मल्होत्रा द्वारा दायर एक याचिका में फाँसी के तरीके को असंवैधानिक बताया गया है। उनका तर्क है कि फाँसी एक पुरानी और क्रूर प्रक्रिया है, जो दोषी को लंबा शारीरिक कष्ट देती है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिले 'गरिमा के साथ जीवन के अधिकार' का उल्लंघन करती है। याचिका में बताया गया है कि 40 से अधिक देशों ने अब लेथल इंजेक्शन या अन्य कम पीड़ादायक तरीकों को अपना लिया है।
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सरकार कर रही है विचार-विमर्श
अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और संदीप मेहता की पीठ को बताया कि इस संवेदनशील मुद्दे पर विचार-विमर्श चल रहा है, लेकिन अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार को अपनी ठोस स्थिति पेश करने के लिए कुछ और समय चाहिए। पहले सरकार ने अपने हलफनामे में फाँसी को 'सबसे सुरक्षित और त्वरित तरीका' बताया था, जबकि लेथल इंजेक्शन में असफलता की संभावना जताई थी। अब केंद्र ने अदालत को भरोसा दिलाया है कि वह वैकल्पिक तरीकों पर अध्ययन कर रही समिति की रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी 2026 के लिए तय की है। यह बहस अब केवल एक कानूनी मुद्दा नहीं, बल्कि मानवता और आधुनिक संवेदनशीलता का सवाल बन गई है।
