दसॉल्ट और टाटा ग्रुप ने मिलाया हाथ, अब भारतीय धरती पर तैयार होगी राफेल फाइटर जेट की बॉडी
punjabkesari.in Thursday, Jun 05, 2025 - 02:41 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुई है। फ्रांस की प्रमुख विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत के टाटा ग्रुप के साथ एक बड़ा समझौता किया है। इस समझौते के तहत अब फाइटर प्लेन राफेल के बॉडी पार्ट भारत में ही बनाए जाएंगे।
राफेल का 'मेक इन इंडिया' सफर:
द दसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने भारत में राफेल लड़ाकू विमान के बॉडी पार्ट के निर्माण के लिए चार 'प्रोडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट' (उत्पादन हस्तांतरण समझौता) पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता भारत की एयरोस्पेस विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में देश की स्थिति को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
आत्मनिर्भरता की ओर एक बड़ा कदम-
यह साझेदारी भारत के एयरोस्पेस बुनियादी ढांचे में एक महत्वपूर्ण निवेश को बढ़ावा देगी। इस कदम को भारत में सामरिक और सैन्य विमानों के निर्माण की दिशा में एक अहम पड़ाव के रूप में देखा जा रहा है। इसका मतलब है कि भविष्य में भारत न केवल राफेल के पुर्जे बनाएगा, बल्कि पूरी तरह से अपने सैन्य विमानों का निर्माण करने की क्षमता भी विकसित करेगा। यह 'मेक इन इंडिया' पहल को एक बड़ी गति देगा और भारत को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में और अधिक आत्मनिर्भर बनाएगा। यह समझौता दोनों कंपनियों के बीच तकनीकी ज्ञान और विशेषज्ञता के आदान-प्रदान को भी सुनिश्चित करेगा, जिससे भारतीय श्रमिकों को उच्च स्तरीय कौशल प्राप्त होंगे। यह डील भारत की रक्षा तैयारियों को मजबूत करने और देश को एक प्रमुख रक्षा विनिर्माण केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक क्षण है।
भारत की एयरोस्पेस यात्रा में महत्वपूर्ण कदम-
TASL के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक सुकरन सिंह ने इस साझेदारी को भारत की एयरोस्पेस यात्रा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, "भारत में संपूर्ण राफेल फ्यूजलेज का उत्पादन टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की क्षमताओं में बढ़ते भरोसे और दसॉल्ट एविएशन के साथ हमारे सहयोग की ताकत को रेखांकित करता है।" सिंह ने इस बात पर भी जोर दिया कि यह डील यह दर्शाती है कि भारत ने एक आधुनिक और मजबूत एयरोस्पेस विनिर्माण इको-सिस्टम स्थापित करने की दिशा में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि भारत की तकनीक वैश्विक प्लेटफार्मों को सफलतापूर्वक सपोर्ट कर सकती है।
यह समझौता न केवल भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करेगा, बल्कि देश को वैश्विक एयरोस्पेस विनिर्माण मानचित्र पर भी एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाएगा। यह 'आत्मनिर्भर भारत' के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।