सेना का एक्शन प्लान: घाटी में नहीं निकलेंगे आतंकियों के जनाजे

Sunday, Jun 24, 2018 - 09:16 AM (IST)

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगने के बाद अब सुरक्षा एजैंसियों ने आतंकियों को मार गिराने के बाद उन्हें खुद दफनाने का निर्णय लिया है। घाटी में सक्रिय आतंकी संगठनों में स्थानीय युवाओं को शामिल होने से रोकने के लिए सुरक्षा एजैंसियों ने अब मुठभेड़ के बाद आतंकियों के शव खुद दफनाने का फैसला किया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार एजैंसियों ने घाटी में आतंकियों के जनाजे पर रोक लगाने के लिए अब मुठभेड़ में ढेर दहशतगर्दों का अंतिम संस्कार खुद करने का निर्णय लिया है। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार स्थानीय युवाओं को आतंक की धारा में जाने से रोकने के लिए गृह मंत्रालय से मिली एक एडवाइजरी के बाद यह फैसला लिया गया है।

अगर अतीत पर गौर करें तो कश्मीर में इससे पहले कई बार आतंकियों के जनाजे में मोस्ट वॉन्टेड कमांडरों के शामिल होने की रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं। इसके अलावा जनाजों के बीच कई बार स्थानीय युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने की बात भी सामने आ चुकी है। इतना ही नहीं, आतंकियों के शव को आई.एस. और पाकिस्तानी झंडों में लपेटकर दफनाने की तस्वीरें सामने आने के बाद कई बार यह मांग उठ चुकी है कि सार्वजनिक रूप से निकलने वाले इन जनाजों को रोका जाए। पूर्व में राज्य के डी.जी.पी. एस.पी. वैद ने भी यह कहा था कि जनाजे में इकट्ठा होने वाली भीड़ को रोकने के लिए पुलिस कुछ रणनीतियों का निर्धारण कर रही है जिससे कि कानून व्यवस्था की स्थिति को बनाए रखा जा सके। माना जा रहा है कि अब आतंकियों के शवों को खुद दफनाने का फैसला भी इसी रणनीति का एक हिस्सा है।

इन कारणों से लिया फैसला

  • जनाजे में कई बार मोस्ट वॉन्टेड आतंकी शामिल हो युवाओं को वरगलाते हैं।
  • जनाजों में शामिल होने के बाद कई स्थानीय युवा हो चुके हैं आतंकी संगठनों में शामिल
  • जनाजों में दिए जाते हैं भड़काऊ और देश विरोधी भाषण। 
  • फहराए जाते हैं आई.एस.आई.एस. और पाकिस्तान के झंडे।


विदेशी आतंकियों के जनाजे पर पहले से रोक
घाटी में विदेशी आतंकियों के जनाजों पर पहले ही रोक लगाई जा चुकी है। करीब अढ़ाई साल पहले लश्कर के स्थानीय कमांडर अबु कासिम के जनाजे के बाद से ही विदेशी आतंकियों के शवों को 3-4 स्थानीय लोगों की मौजूदगी में घाटी के किसी भी स्थान पर दफनाया जाता रहा है। ऐसे में अब स्थानीय आतंकियों के शवों को भी इसी प्रकार दफनाने की दिशा में काम शुरू किया गया है। शुक्रवार को मोस्ट वॉन्टेड आतंकियों की लिस्ट जारी होने के बाद मुठभेड़ में ढेर होने पर उनके शव परिवार को न सौंपने का फैसला भी इसी दिशा में पहला कदम माना जा रहा है और आने वाले वक्त में ऐसे ही कई बड़े फैसले किए जा सकते हैं। 

Seema Sharma

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