कश्मीर में आतंकियों का खतरनाक योजना : जवानों से ज्यादा अब अधिकारियों पर निशाना

Thursday, Aug 03, 2017 - 06:41 PM (IST)

श्रीनगर : गुरुवार को जम्मू कश्मीर के शोपियां में एक मुठभेड़ हुई और इसमें सेना की एलीट कमांडो यूनिट के मेजर कमलेश पांडे और सिपाही तंजिन शूतिन शहीद हो गए। इस एनकाउंटर के साथ ही इंडियन आर्मी ने अपने एक और जाबांज ऑफिसर को गंवा दिया। पिछले डेढ़ वर्ष के अंदर डेढ़ दर्जन ऑफिसर कश्मीर में अपनी जान गंवा चुके हैं। गुरुवार को शहीद हुए मेजर कमलेश पांडे का नाम भी शहादत की इस लिस्ट में शामिल हो गया है।  
जो हालात पिछले डेढ़ वर्षों से घाटी में हैं उससे साफ  नजर आ रहा है कि आतंकियों ने अपनी रणनीति को बदला डाला है। वह कभी सोते हुए ऑफिसर्स पर हमला करते तो कभी उन जगहों को निशाना बनाते जहां पर ऑफिसर्स अपने परिवार के साथ रह रहे हैं या फिर वह सेना के काफिले को अपना निशाना बनाने में लगे हैं। अब उनका निशाना सेना के ऐसे ऑफिसर हैं, जो युवा हैं और जो किसी न किसी ऑपरेशन को कमांड कर रहे होते हैं।

2016 से अधिकारी हैं निशाने पर
साल 2016 पहले पठानकोट आतंकी हमले और फिर पंपोर में कैप्टन तुषार महाजन और कैप्टन पवन बेनीवाल एक मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। यहां से सिलसिला चला निकला और नगरोटा में हुए आतंकी हमले के साथ यह थम पाया। इसके बाद 2017 में भी ऑफिसर्स को निशाना बनाया गया। कुपवाड़ा के चौकीबल में हुआ आतंकी हमला हो या फिर मई में कैप्टन उमर फैयाज की हत्या, आतंकियों ने अपने मंसूबे साफ कर दिए हैं। साल 2016 सेना के लिए सबसे खराब साल रहा था। दिसंबर 2016 तक सेना ने अपने 87 जवानों को गंवाया। वर्ष 2008 के आठ वर्ष बाद यह आंकड़ा सबसे ज्यादा था। लेकिन अब सेना ने घाटी में आतंकियों के खिलाफ आक्रामक रुख अख्तियार कर लिया है।

सेना का आपरेशन ऑल आउट
 सेना ने कश्मीर में मौजूद 200 से ज्यादा आतंकियों के सफाए के लिए ऑपरेशन ऑल आउट लॉन्च किया है। सेना के इस ऑपरेशन को सफलता मिलती नजर आ रही है। अब तक घाटी में 117 आतंकी मारे गए हैं और यह आंकड़ा 10 वर्षों में सबसे ज्यादा है। वर्ष 2016 में सेना ने घाटी में कुल 165 आतंकी मारे थे और इस साल इसमें निश्चित तौर पर इजाफे की संभावना नजर आ रही है।

 

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