New Rules: अब हर OTP के लिए चुकाने होंगे इतने रुपए, नए नियम से आम आदमी की कटेगी जेब
punjabkesari.in Saturday, Aug 02, 2025 - 12:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: ऑनलाइन धोखाधड़ी पर लगाम लगाने और डिजिटल पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से दूरसंचार विभाग (DoT) ने मोबाइल नंबर वैलिडेशन (MNV) से जुड़ा एक नया मसौदा नियम तैयार किया है। प्रस्तावित नियमों के मुताबिक, अब मोबाइल नंबर वेरिफिकेशन के लिए सभी संस्थाओं को DoT के प्लेटफॉर्म का ही उपयोग करना होगा और हर वेरिफिकेशन पर शुल्क भी देना होगा।
क्या है नया प्रस्ताव?
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन का यह प्रस्ताव कहता है कि बैंक, फिनटेक और अन्य डिजिटल सेवाएं अब यूजर के मोबाइल नंबर को वेरिफाई करने के लिए केवल DoT के प्लेटफॉर्म का उपयोग करेंगी। बैंकों को प्रति वेरिफिकेशन ₹1.50 और अन्य संस्थाओं को ₹3 खर्च करना होगा। फर्जी या संदिग्ध नंबर को 90 दिनों के लिए बंद भी किया जा सकता है।
ग्रामीण और निम्नवर्ग होंगे सबसे अधिक प्रभावित
विशेषज्ञों के अनुसार, देश के करोड़ों परिवारों के पास एक ही मोबाइल होता है, जिसका उपयोग पूरा परिवार करता है — पेंशन देखने से लेकर डिजिटल शिक्षा और बैंकिंग तक। ऐसे में अगर हर खाते के लिए अलग मोबाइल नंबर की अनिवार्यता होती है, तो ग्रामीण और निम्नवर्ग डिजिटल सेवाओं से कट जाएंगे।
एक ही मोबाइल से चलने वालों के लिए होगी मुश्किल
- बुजुर्गों की पेंशन पर असर
- महिलाओं को डिजिटल सेवाओं से दूरी
- बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई पर असर
- प्रवासी मजदूरों के लिए फंड ट्रांसफर मुश्किल
- एक ही फोन पर कई UPI अकाउंट्स संदिग्ध घोषित हो सकते हैं
छोटे कारोबारियों और स्टार्टअप्स के लिए चुनौती
MNV शुल्क छोटे उद्यमियों और स्टार्टअप्स के लिए एक नई आर्थिक चुनौती लेकर आएगा। 10,000 यूजर्स वाले ऐप को हर महीने 30,000 रुपए वेरिफिकेशन पर खर्च करने होंगे। यह लागत फूड डिलीवरी, कैब सर्विस, ऑनलाइन शॉपिंग जैसी सेवाओं को महंगी बना सकती है। वहीं, QR पेमेंट करने वाले दुकानदार डिजिटल ट्रांजैक्शन से पीछे हट सकते हैं।
सरकार को मिलेगा राजस्व
नए नियमों से सरकार को वेरिफिकेशन शुल्क के रूप में राजस्व मिलेगा। वहीं, बड़ी कंपनियां जो यह खर्च उठा सकती हैं, वे छोटे खिलाड़ियों को पीछे छोड़ते हुए बाजार में और मजबूत हो सकती हैं।