बैंक मानहानि मामला: राहुल गांधी और सुरजेवाला के खिलाफ समन जारी

Monday, Apr 08, 2019 - 10:24 PM (IST)

नेशनल डेस्क: लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की मुश्किले बढ़ सकती हैं। गुजरात के अहमदाबाद की एक मेट्रो अदालत ने मानहानि के एक मामले में आज राहुल गांधी और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को समन जारी कर 27 मई को इसके समक्ष पेश करने के आदेश दिये। अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक के अजय पटेल ने अदालत में मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इस बैंक के निदेशकों में भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह भी शामिल हैं। 

 

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट एस के गढ़वी की अदालत ने इस मामले को प्रथम दृष्टया मानहानि का मामला मानते राहुल गांधी और सुरजेवाला को समन जारी किया। अदालत ने गत 27 अगस्त को इस मामले की जांच के आदेश दिये थे और बाद में साक्ष्यों की जांच की गयी थी। पिछले साल जून में सुरजेवाला ने एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि इस बैंक में आठ नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद मात्र पांच दिन में ही 745.58 करोड रूपये के पुराने रद्द किये गये 500 और 1000 रूपये के नोट बदल दिये थे। उस अवधि में देश के कुल 370 जिला सहकारी बैंक में नोटों की ऐसी यह सबसे बड़ी अदलाबदली थी।  


कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया था कि बैंक के चेयरमैन पटेल स्वयं भाजपा के एक नेता हैं और शाह के करीबी सहयोगी हैं। उन्होंने यह भी कहा था ​ कि गुजरात में भाजपा नेताओं की अध्यक्षता वाले 11 जिला सहकारी बैंकों ने नोटबंदी के पहले पांच दिन में ही 3,118.51 करोड़ रूपये जमा कराये गये थे। राहुल गांधी ने भी इस मामले में शाह और भाजपा पर निशाना साधते हुए 22 जून को ट्वीट किया था कि ‘बधाई हो अमित शाह जी, निदेशक, अहमदाबाद जिला सहकारी बैंक। आपके बैंक ने पुराने नोटों को बदलने में पहला पुरस्कार हासिल किया है। महज पांच दिन में ही 750 करोड़ रूपये। करोड़ो भारतीय जिनकी जिंदगी नोटबंदी ने बर्बाद कर दी थी, आपकी इस उपलब्धि को सलाम करते हैं।

पटेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस नेताओं के झूठे आरोपों ने बैंक की छवि को नुकसान पहुंचाया है और इसके लिए उनके खिलाफ मानहानि का मामला चलाया जाना चाहिए। बता दें कि 8 नवंबर 2016 को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला लिया था और जनता को बैंकों में अपने पास जमा पुराने नोट बदलवाने के लिए 30 दिसंबर 2016 तक यानी 50 दिनों का समय दिया गया था। हालांकि इस फैसले के 5 दिन बाद यानी 14 नवंबर 2016 को सरकार की ओर से यह निर्देश दिया गया कि किसी भी सहकारी बैंक में नोट नहीं बदले जाएंगे। ऐसी आशंका थी कि जमा काले धन को सफेद करने के लिए ऐसे बैंकों का दुरुपयोग हो सकता है।

vasudha

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