भारत बंद से पूर्व संध्या पर बोले किसान, कृषि कानूनों को वापस लेने से पहले कुछ मंजूर नहीं

Monday, Dec 07, 2020 - 06:42 PM (IST)

नेशनल डेस्कः नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का प्रदर्शन 12वें दिन भी जारी है। भारत बंद से पहले किसानों ने मीडिया को संबोधित करते हुए एक बार फिर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि सरकार को हमारी बात माननी होगी। कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से नीचे हम कुछ नहीं चाहते हैं। हालांकि सरकार ने छठवें दौर की वार्ता के लिए 9 दिसंबर को फिर बुलाया है। पांचवें दौर की बैठक के दौरान बातचीत के लिए सरकार की ओर से 8 दिसंबर की तारीख रखी गई थी लेकिन किसान इससे पहले ही भारत बंद का ऐलान कर चुके थे। ऐसे में उन्होंने सरकार से कहा कि भारत बंद का कार्यक्रम रद्द नहीं होगा और फिर तारीख को एक दिन आगे बढ़ाया गया। किसानों ने राजनीतिक दलों से अपील की कि जो राजनीतिक पार्टियां बंद के समर्थन में हैं वो अपने बैनर और झंडे घर पर ही रखकर आएं।

कल है भारत बंद
कृषि कानूनों के विरोध में किसान कल भारत बंद करने जा रहे हैं। किसानों के इस बंद को 1 दर्जन से अधिक राजनीतिक पार्टियों ने समर्थन दिया है। कांग्रेस पार्टी किसानों के समर्थन में कल देशभर के जिला मुख्यालयों पर केंद्र सरकार के खिलाफ धरना प्रदर्शन करेगी। इसके अलावा बैंक यूनियन, दिल्ली हाईकोर्ट के वकील समेत ट्रेडर्स यूनियन ने भी बंद को समर्थन दिया है। बंद के दौरान एंबुलेंस, शादी-विवाह में जाने वाले वाहनों को छूट मिलेगी। सुबह 11 बजे से शाम 3 बजे तक ट्रकों के पहिए जाम रहेंगे।

किसानों से मिलने पहुंचे केजरीवाल
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सिंघु बॉर्डर पर अपनी कैबिनेट के साथ किसानों से मिलने पहुंचे। यहां उन्होंने दिल्ली सरकार की ओर से किसानों के लिए की गई व्यवस्था का जायजा लिया और किसानों से बातचीत की। केजरीवाल ने किसानों से कहा कि वह यहां एक मुख्यमंत्री की हैसियत से नहीं बल्कि एक सेवादार के तौर पर आए हैं।

भाजपा ने साधा विपक्ष पर निशाना
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कहा है कि कृषि सुधारों को लेकर बने कानूनों का विरोध करने वाले विपक्षी राजनीतिक दलों का शर्मनाक दोहरा चरित्र सामने आ गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कृषि सुधारों को लेकर नरेन्द्र मोदी की सरकर ने जो प्रावधान किए हैं, वे कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) की सरकार दस सालों से करने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों का राजनीतिक वजूद खत्म हो रहा है लिहाजा वे स्वयं को बचाने के लिए किसी भी आंदोलन के समर्थन में खड़े हो जाते हैं।

प्रसाद ने कहा कि सिर्फ किसान आंदोलन की बात नहीं है बल्कि नागरिकता संशोधन विधेयक, शाहीन बाग या कोई भी सुधार का विषय हो, कांग्रेस समेत विपक्षी दल बस विरोध के लिए उनके साथ खड़े हो जातें हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के 2019 लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र के पृष्ठ 17 और बिंदू 11 में स्पष्ट लिखा था कि कांग्रेस कृषि उत्पाद बाज़ार समिति (एपीएमसी) अधिनियम में संशोधन करेगी ताकि किसानों को फसलों के व्यापार के लिए सभी बंधनों से मुक्ति मिले। प्रसाद ने कहा कि 2013 में कांग्रेस शासित सभी मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करके कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा था कि वे एपीएमसी में बदलाव लाएं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता एवं पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने भी इस संबंध में सभी मुख्यमंत्रियों को चिट्ठी लिखी थी। 

 

Yaspal

Advertising