सिर्फ पढ़ाई नहीं, प्रैक्टिकल ट्रेनिंग चाहिए....Raghuram Rajan का शिक्षा व्यवस्था पर बड़ा बयान

punjabkesari.in Monday, Dec 15, 2025 - 06:08 PM (IST)

बिजनेस डेस्कः आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत की मौजूदा शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के तेजी से बढ़ते दौर के बावजूद हाथों से किए जाने वाले कई जरूरी काम कभी खत्म नहीं होंगे लेकिन भारत की शिक्षा प्रणाली बच्चों को ऐसे कामों के लिए तैयार ही नहीं कर रही है। राजन ने जोर देते हुए कहा कि अब समय आ गया है जब डिग्री के बजाय प्रैक्टिकल स्किल्स को प्राथमिकता दी जाए।

एक पॉडकास्ट के दौरान रघुराम राजन ने कहा कि भारत भले ही AI आधारित भविष्य की ओर बढ़ रहा हो लेकिन देश की वर्कफोर्स इसके लिए पर्याप्त रूप से तैयार नहीं है। उन्होंने चिंता जताई कि बड़ी संख्या में युवा न सिर्फ जरूरी स्किल्स से वंचित हैं, बल्कि कुपोषण जैसी समस्याओं से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में यह सोचना जरूरी है कि हम अपने युवाओं को रोजगार के लिए कैसे तैयार कर रहे हैं।

प्लंबर और टेक्निकल जॉब्स का उदाहरण

राजन ने प्लंबिंग और एयरक्राफ्ट इंजन रिपेयर जैसे प्रोफेशन का जिक्र करते हुए कहा कि ये काम आज भी उतने ही जरूरी हैं और इन्हें ऑटोमेशन से पूरी तरह बदलना आसान नहीं है। इसके बावजूद भारत की शिक्षा व्यवस्था बच्चों को इन स्किल-बेस्ड नौकरियों के लिए तैयार नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि बच्चों को गणित, विज्ञान और कम्युनिकेशन जैसी बुनियादी चीजों में भी कमजोर तैयार किया जा रहा है।

उन्होंने इस धारणा को भी खारिज किया कि सफलता के लिए सिर्फ डिग्री जरूरी है। राजन ने कहा, “मुझे फ्रेंच या अंग्रेजी साहित्य में डिग्री की जरूरत नहीं है। मैं मॉडर्न प्लंबिंग में एक टेक्निकल कोर्स करना ज्यादा पसंद करूंगा।”

सिस्टम में बदलाव और अप्रेंटिसशिप पर जोर

राजन ने कहा कि सोच के साथ-साथ पूरे सिस्टम में बदलाव की जरूरत है। ज्यादा से ज्यादा अप्रेंटिसशिप और प्रैक्टिकल ट्रेनिंग को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। स्किल्ड ट्रेड्स को सामाजिक सम्मान मिलना चाहिए और पढ़ाई का सिलेबस ऐसा हो, जिसमें थ्योरी के साथ प्रैक्टिकल नॉलेज भी शामिल हो।

उन्होंने यह भी कहा कि प्लंबर जैसे प्रोफेशन में एंटरप्रेन्योरशिप की समझ भी जरूरी है—अपने काम की कीमत तय करना, खर्चों का हिसाब रखना और बिजनेस को मैनेज करना आना चाहिए।

कुपोषण पर भी जताई चिंता

रघुराम राजन ने स्किल्स के साथ बचपन के विकास और कुपोषण के मुद्दे को भी जोड़ा। उन्होंने कहा, “हम अपने कई बच्चों को बचपन में ही फेल कर रहे हैं।” कुपोषण के कारण बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास प्रभावित होता है, जिससे वे भविष्य की नौकरी की मांगों को पूरा नहीं कर पाते।

राजन ने चेतावनी दी कि अगर भारत 2047 तक ‘विकसित भारत’ बनने का लक्ष्य हासिल करना चाहता है, तो वह अपनी लगभग 35% वर्कफोर्स को ऐसी नाजुक स्थिति में नहीं छोड़ सकता। कुपोषण को कम करना और स्किल डेवलपमेंट को मजबूत करना इस दिशा में सबसे अहम कदम हैं। 
 


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Content Writer

jyoti choudhary

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