पूरी तरह तैयार भी नहीं हुआ इसरो का ''बेबी पीएसएलवी'' और मिल गए लॉन्‍च के खरीदार

Monday, Sep 02, 2019 - 06:43 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का नया प्रोजेक्ट बेबी पीएसएलवी (Baby PSLV) अभी तक पूरी तरह तैयार भी नहीं हुआ है। इससे पहले ही इसरो को इस स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SSLV) की सेवा लेने वाले मिल गए हैं। अंतरिक्ष उद्योग में इस तरह का सौदा पहले कभी नहीं हुआ है। इसरो को इस रॉकेट के पूरी तरह से आकार लेने से महीनों पहले ही अमेरिका की कंपनी की ओर से व्यावसायिक पेशकश मिल गई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि स्मॉल सैटेलाइट का वैश्विक कारोबार तेजी कारोबार तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में बेबी पीएसएलवी का यह प्रोजेक्ट इसरो के लिए सोना उगलने वाली परियोजना साबित हो सकता है। अमेरिका के सियालट की कंपनी स्पेसफ्लाइट ने एसएसएलवी की पूरी दूसरी उड़ान खरीद ली है। उम्मीदकी जा रही है कि बेबी पीएसएलवी के जरिए इसरो अगले साल की शुरूआत में चार सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा।

परियोजना फिलहाल ड्रॉइंग से आगे बढ़ी है
बेबी पीएसएलवी परियोजना फिलहाल ड्रॉइंग से कुछ आगे ही बढ़ी है। ऐसे में यह अप्रत्‍याशित है कि बिना कोई सफल लॉन्‍च के ही किसी परियोजना को व्‍यावसायिक खरीदार मिल जाए। एसएसएलवी इसरो का नया लॉन्‍च व्‍हीकल है, जिसके जरिये छोटे सैटेलाइट को अलग-अलग कक्षाओं में स्‍थापित करने की वैश्विक मांग को पूरा किया जाएगा। यह नया रॉकेट 500 किग्रा के सैटेलाइट को पृथ्‍वी की निचली कक्षाओं में स्‍थापित कर सकेगा। इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवान ने एनडीटीवी को बताया कि यह छोटा रॉकेट कम खर्च में हल्‍के सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्‍थापति करने का जरिया बनेगा।

एसएसएलवी का पहला लॉन्‍च इस साल के अंत तक किया जाएगा। दुनिया भर में कोई सैटेलाइट निर्माता बिना परीक्षण किए गए व्‍हीकल से लॉन्‍च कराने का जोखिम नहीं उठाता। ज्‍यादातर नए रॉकेट को बाजार में स्‍वीकार्यता के लिए लगातार तीन बार अपनी उपयोगिता और भरोसा साबित करना पड़ता है। मार्च, 2019 में देश के अंतरिक्ष विभाग ने नई व्‍यावसायिक इकाई न्‍यूस्‍पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) शुरू की थी। इस इकाई ने छह महीने से भी कम समय में एसएसएलवी समेत बिक्री का नया रिकॉर्ड बना डाला है।

Yaspal

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