श्री अमरनाथ यात्रा : यात्रा के लिए तैनात पुलिसकर्मियों को न मिल रही है बिजली और न पानी

punjabkesari.in Monday, Jul 01, 2019 - 06:33 PM (IST)


कठुआ (गुरप्रीत) : जिस्म को जला देने वाली गर्मी के बीच अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मी आला अधिकारियों की संवेदनहीनता के चलते तपती दोपहर में बिना बिजली, पंखे के अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं। शाम ढलते ही जम्मू- पठानकोट राजमार्ग सहित संवेदनशील स्थानों पर जिला पुलिस द्वारा स्थापित किए गए 59 सुरक्षा मोर्चों में से अधिकतर में घनघोर अंधेरा छा जाता है। पुलिस प्रशासन द्वारा सुरक्षा मोर्चों पर बिजली जैसी महत्वपूर्ण सुविधा को फरहाम न करना एक तरह से मोर्चो पर तैनात सुरक्षकर्मियों के मानव अधिकारों के उल्लंघन के समान है। हालांकि पुलिस अधिकारी सुरक्षा मोर्चों को विजिव्ल नहीं दिखने का तर्क देकर बिजली सुविधा न होने का दम भर रहे हैं। परंतु दिन के समय विजिव्ल की पुलिस थियूरी धरी की धरी रह रही है। कम से कम दिन के समय तो जवानों को बिजली से पंखे की सुविधा तो दी जानी चाहिए। विजिव्ल के तर्क के चलते रात को मोर्चों पर बिजली से होने वाली रोशनी न करने की मनाही होनी चाहिए। परंतु तपती गर्मी में पंखा तक न होना पुलिस कार्यप्रणाली पर भी सवाल है। 

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दरअसल रियासत के प्रवेशद्वार लखनपुर से लेकर जिला कठुआ की हद तक आते लोंडी मोड़ तक पहली बार अस्थायी मोर्चें पुलिस द्वारा बनाए गए हैं। अमरनाथ यात्रा के मद्देनजर पहली बार हाइवे सहित आसपास के मार्गों पर 59 नाकों (मोर्चों) को बनाया गया है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए पुलिस का यह कदम सराहनीय है। परंतु सुरक्षाबलों की अनदेखी आखिर कहां तक सही है। लखनपुर थाना के अधीन पांच, कठुआ थाना के अधीन 24, राजबाग पुलिस थाना क्षेत्र में 17 और हीरानगर पुलिस थाना क्षेत्र में भी 17 मोर्चों बनाए गए हैं। परंतु अधिकतर मोर्चों में बिजली की सुविधा न होना खुद मोर्चों पर 24 घंटे तैनात रहने वालों की सुरक्षा को लेकर ही सवाल खड़े करता है। बिना बिजली के अंधेरे में मोर्चों पर डटे रहने वाले जवानों को तेज गर्मी तो हल्कान करती ही है साथ ही विषैले जीव जंतुओंं, सांपो के डसने के डर से जान पर आफत बनी रहती है। इन मोर्चों पर तैनात जवान बिजली और पानी की सुविधा मोर्चों पर न होने से खुद परेशान हैं। पानी का बंदोवस्त वे कहीं न कहीं से जाकर बमुश्किल से करते हैं। जवानों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वो ड्यूटी में कोई कोताही बरतना नहीं चाहते , पर आला अधिकारियों को भी देखना चाहिए कि उनको ऐसे सुविधा प्रदान की जाए जिससे वो अपनी ड्यूटी को और बेहतर ढंग से अंजाम दे सकें।  

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रेत से भरी बोरियों, टीन की तपती छत्त के भीतर तैनात हैं सुरक्षाकर्मी 
कठुआ : इस तपती गर्मी में यहां एक ओर लोग ए.सी. कूलरों का सहारा ले रहे हैं। जबकि दूसरी ओर जम्मू कश्मीर पुलिस के जवान रेत की बोरियों और टीन की छत्त से बनाए मोर्चों के बीच अपनी ड्यूटी का निर्वाह कर रहे हैं। ड्यूटी तो सही है लेकिन ड्यूटी में सुरक्षा के लिए तैनात जवानों को कोई हक नहीं है कि उन्हें मूल सुविधाएं मुहैया करवाई जाएं। पुलिस नाकों को सुरक्षा की दृष्टि से विजिवल न करने का तर्क दे रहे हैं लेकिन दिन के समय भी बिना बिजली की सुविधा के जवान पंखे की हवा खाने के बजाय लू एवं झुलसा देने वाली तपती हवा खाने को मजबूर हैं। कई  मोर्चे तो ऐसे स्थान पर बनाए गए हैं जहां आसपास दिन के समय छाया में बैठने तक का कोई प्राकृतिक बंदोवस्त नहीं है। कई तो दरियाओं, खड्डों के कि नारे पर हैं और इनके स्टीक आगे से हाइवे पर तेज गति से रात को वाहन भी दौड़ते हैं। ऐसे में हादसों का भर डर बना रहता है। 


 क्या कहते हैं अधिकारी 
अधिकारियों ने एकमत से इन मोर्चों में बिजली की सुविधा का प्रावधान न होने की बात कही है। कठुआ थाना के प्रभारी अरविंद संब्याल ने कहा कि यह मोर्चेंं हैं और इनमें बिजली नहीं होती क्योंकि रात को बिजली की रोशनी से कर्मी टारगेट बन सकता है। बहरहाल जहां आसपास जवानों को ठहराया गया है वहां पंखे आदि की सुविधा है। राजबाग थाना के प्रभारी मंजीत सिंह ने भी इसी तरह का तर्क दोहराते हुए कहा कि मोर्चों तक कहीं भी बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं होती।  
 


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Monika Jamwal

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