कानूनी प्रक्रिया के बगैर किसी को बंदी बनाकर नहीं रखा जाना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

Saturday, Apr 01, 2023 - 09:05 PM (IST)

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि राज्य की जिम्मेदारी अपराध रोकने और सुरक्षा बनाए रखने की है लेकिन इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित नहीं होनी चाहिए और कानूनी प्रक्रिया के बिना किसी को बंदी बनाकर नहीं रखा जाना चाहिए। दण्ड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 167(2) के प्रावधान (ए) में उल्लेखित 60/90 दिनों की डिफॉल्ट जमानत अवधि की गिनती करते हुए हिरासत की तिथि को उसमें जोड़ा जाए या नहीं, उच्चतम न्यायालय ने इस कानूनी प्रश्न पर विचार करते हुए उक्त टिप्पणी की।

सीआरपीसी की धारा 167 के अनुसार, अगर जांच एजेंसी हिरासत के दिन से 60 दिनों के भीतर आरोपपत्र दाखिल करने में असफल रहती है तो आरोपी स्वत: जमानत पाने का पात्र होगा। कुछ अपराधों में इस अवधि को बढ़ाकर 90 दिन तक किया जा सकता है।

जस्टिस के. एम. जोसफ, जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस बी. वी. नागरत्न की पीठ ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 167 के तहत उल्लेखित 60/90 दिनों की अवधि की गिनती मजिस्ट्रेट द्वारा आरोपी को हिरासत में भेजे जाने के दिन से होगी। पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत का मानना है कि कानूनी प्रक्रिया के बगैर किसी को बंदी बनाकर नहीं रखा जाना चाहिए। राज्य की जिम्मेदारी अपराध रोकने और सुरक्षा बनाए रखने की है लेकिन इसमें व्यक्तिगत स्वतंत्रता बाधित नहीं होनी चाहिए।''

Yaspal

Advertising