"हिंदू धर्म में कोई दलित नहीं, सभी को पुजारी बनने का अधिकार", बागेश्वर बाबा ने किया आचार्यों से आह्वान
punjabkesari.in Monday, Nov 18, 2024 - 04:16 PM (IST)
नेशनल डेस्क : बागेश्वर बाबा के नाम से प्रख्यात धीरेंद्र शास्त्री ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने हिंदू मंदिरों में दलितों और आदिवासी समुदाय के लोगों को पुजारियों के रूप में जगह देने की वकालत की। उनका कहना है कि यह कदम सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने और धर्म की एकता को साकार करने के लिए बेहद जरूरी है।
दलितों और आदिवासियों को पुजारी बनाने की अपील
बागेश्वर बाबा ने सभी शंकराचार्यों और आचार्यों से आह्वान किया है कि वे मंदिरों में दलितों और नीची जातियों को भी पुजारी बनाने की व्यवस्था शुरू करें। उनका मानना है कि हिंदू धर्म में कोई भी जाति या वर्ग के लोग पीछे नहीं हैं, और यदि देश में सभी लोग हिंदू हैं, तो सभी को पुजारी बनने का अधिकार मिलना चाहिए।
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हिंदू धर्म में सबको समान अधिकार
धीरेंद्र शास्त्री ने कहा, "हम ये नहीं कह रहे कि कौन पुजारी बने, बल्कि हम यह कह रहे हैं कि इस देश में न तो दलित हैं, न पिछड़े हैं, न बिछड़े हैं। सभी लोग पुजारी हो सकते हैं। जब हम हिंदू धर्म को सभी के लिए समान मान रहे हैं तो फिर कौन दलित बचता है, कौन पिछड़ा बचता है?" उनका मानना है कि अगर सभी लोग हिंदू हैं, तो मंदिरों में पुजारी बनने का हक सबको मिलना चाहिए।
समाज में समरसता की आवश्यकता
बागेश्वर बाबा ने कहा कि वे शंकराचार्य और आचार्यों से प्रार्थना करते हैं कि वे इस व्यवस्था पर विचार करें और इसे लागू करने की दिशा में कदम बढ़ाएं। उनका उद्देश्य समाज में समानता और समरसता को बढ़ावा देना है। वे चाहते हैं कि मंदिरों में किसी भी जाति, वर्ग, या धर्म से संबंध रखने वाले व्यक्ति को पूजा-अर्चना करने का अधिकार मिले, ताकि समाज में भेदभाव खत्म हो सके।
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धर्म की एकता की ओर कदम
बागेश्वर बाबा ने इस बात को भी दोहराया कि जब सभी लोग हिंदू हैं, तो मंदिरों में भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। यह कदम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह समाज में समानता और भाईचारे को भी बढ़ावा देगा।
धीरेंद्र शास्त्री का यह बयान समाज में एक नई दिशा की ओर इशारा करता है। उन्होंने हिंदू धर्म में सभी जातियों और वर्गों के लोगों को समान अधिकार देने की बात की है, और यह संदेश दिया है कि धर्म के मार्ग पर चलते हुए किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए।